अगर आप शेरों से यारी का शौक रखते हैं तो बांधवगढ़ आपका बेसब्री से इंतजार कर रहा है। बांधवगढ़ नेशनल पार्क अपने आप में अनूठा है। दुनिया में व्हाइट टाइगर के लिए जाना जाता है। दुनिया का पहला व्हाइट टाइगर मोहन का निवास था, उसकी संतानें यहीं पर पली बढ़ीं। शेरों के अलावा यहां पर दूसरे वन्य प्राणी भी हैं।
बांधवगढ़ शहडोल संभाग के उमरिया जिले में स्थित है। जहां सैर करना नेचर प्रेमियों और छुट्टी पर जानेवालों के लिए एक रोचक अनुभव रहता है। यहां आप शिकार करते हुए शेर का लाइव नजारा देख सकते हैं, शावकों की अठखेलियां भी लोगों को रोमांचित करतीं हैं।
बांधवगढ़ अभ्यारण्य मध्यप्रदेश के सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान में से एक है, इसे 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ बाघ अभ्यारण्य के लिए फेमस है। बंगाल टाइगरों की जनसंख्या घनत्व के मामले में बांधवगढ़ का स्थान दुनिया में पहला है। इसके अलावा यहां बड़ी संख्या में चीता और हिरण भी पाये जाते हैं। अभ्यारण्य के बीचोबीच बांधवगढ़ पहाड़ी है जो इस अभ्यारण्य को चार भाग में विभाजित करते हैं।
चरणगंगा नदी यहां की प्रमुख नदी है, जो पार्क से गुजरते हुए बहती है। यहां का हरा-भरा मनोरम दृश्य और साल के ऊंचे-ऊंचे वृक्ष प्रकृति के बिल्कुल नजदीक होने का अहसास कराते हैं। पूरे बांधवगढ़ की निचली ढलान पर बांस बहुतायत में पाया जाता है, जहां बाघ और अन्य वन्य प्रजातियां आसानी से देखी जा सकती हंै। चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, जंगली कुत्ते, तेंदुए, भेडि़ए , सियार, भालू, जंगली सुअर, लंगूर और बंदर भी देखे जा सकते हैं ।
कोबरा, व्हाईपर, अजगर, गिरगिट जैसे जीव भी सामने आकर आपको चौंका सकते हैं। अभ्यारण्य पक्षियों से भी समृद्ध है। इस पार्क में पक्षियों की 250 प्रजातियां पाई जाती हैं। आम पक्षियों में सफ़ेद बगुला, जंगली कौआ, मोर, ग्रे हॉर्नबिल, रेड वॅटेल्ड लैपविंग, कलगी, बटेर, उल्लू, तोता, आम चैती आदि शामिल हैं। पानी और भोजन के संसाधनों में समृद्ध होने के कारण ताल रेंज पर सबसे अधिक वन्य जीवों का दर्शन होता है।
30 जून तक ही लुत्फ उठाने का मौका
– विजिटर्स के लिए 15 अक्टूबर से खुल जाता है जो 30 जून तक खुला रहता है, मतलब अगर घूमने का मन बना रहे हैं तो समय कम है जल्दी करिए।
– मार्च से मई तक के महीने के दौरान वनस्पतियां सूख जाती हैं, और इस सीजन में सर्दियों की तुलना में टाइगर साइटिंग ज्यादा आसान है।
– अगर आप स्लोथ बियर देखने जा रहे हैं तो मार्च-मई का महीना सही रहेगा, क्योंकि इस दौरान ही ये महुआ के फूल को खाने के लिए बाहर निकलते हैं।
बांधवगढ़ नेशनल पार्क, सफारी का समय
सफारी का समय मौसम के मुताबिक चेंज होते रहते हैं, अप्रैल से जून तक के लिए समय चेंज कर दिया जाता है, अगर आप इस दौरान घूमने जा रहे हैं तो आपको 1 अप्रैल से 30 जून तक सफारी सुबह के वक्त में 6 बजे से 9.30 बजे तक, और शाम के वक्त में 15.30 बजे से 7 बजे तक मिलेगी।
नजदीक से घूमने वाले प्लेस
अगर आप बांधवगढ़ घूमने का मन बना रहे हैं तो फिर वहां से आप कान्हा नेशनल पार्क भी जा सकते हैं, जो ज्यादा दूर नहीं है। जबलपुर में भेड़ाघाट देखा जा सकता है। खजुराहो तो फेमस पर्यटन स्थल है ही साथ ही पन्ना नेशनल पार्क जो कि बांधवगढ़ से ज्यादा दूर नहीं है। आपके पास मौका रहेगा, एक और शानदार नेशनल पार्क विजिट करने का, पेंच नेशनल पार्क भी देख सकते हैं। क्योंकि ये सभी बांधवगढ़ नेशनल पार्क से ज्यादा दूर नहीं है, मतलब साफ है अगर आप बांधवगढ़ घूमने आएंगे तो आपके पास कई बेहतर जगह घूमने का मौका रहेगा।
ऐसे आ सकते हैं बांधवगढ़ नेशनल पार्क
बाई रोड
बांधवगढ़ नेशनल पार्क उमरिया, जबलपुर, सतना, खजुराहो से लगा हुआ है, उमरिया से बांधवगढ़ नेशनल पार्क 35 किमी की दूरी पर है, लगभग ४५ मिनट की ड्राइव पर आप यहां पहुंच सकते हैं। कटनी से 100 किमी की दूरी पर है लगभग 2 घंटे की ड्राइव कर पहुंच सकते हैं। जबलपुर से 200 किमी दूर है लगभग 4 घंटे की ड्राइव कर पहुंच सकते हैं।
खजुराहो से 250 किमी की दूरी पर है लगभग 5 घंटे की ड्राइव करके पहुंच सकते हैं। नागपुर से 490 किमी की दूरी पर है, लभग 9 घंटे का ड्राइव कर पहुंच सकते हैं। वाराणसी से 350 किमी की दूरी पर है, लगभग 7 घंटे की ड्राइव कर पहुंच सकते हैं। कान्हा नेशनल पार्क से 250 किमी की दूरी पर है लगभग 5 घंटे की ड्राइव पर यहां पहुंचा जा सकता है।
बाई ट्रेन
– बांधवगढ़ नेशनल पार्क से नजदीकी रेलवे स्टेशन उमरिया और कटनी पड़ते हैं ।
– बांधवगढ़ से उमरिया पहुंचने के लिए ४५ मिनट ड्राइव करके पहुंचा जा सकता है, जबकि कटनी 100 किमी दूर है ।
बाई एयर
बांधवगढ़ से नजदीकी हवाई सफर जबलपुर और खजुराहो से पाया जा सकता है, बांधवगढ़ से जबलपुर 200 किमी है, तो खजुराहो 250 किमी है।