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शाहडोल

जिले के हितग्राहियों ने बेंचा 35 करोड़ का तेंदूपत्ता, उद्योग और प्रोसेसिंग हो तो युवाओं को मिलेगा रोजगार

दक्षिण वनमण्डल में लक्ष्य से ज्यादा खरीदी, हर साल होता है करोड़ों रुपए का कारोबार

शाहडोलAug 14, 2021 / 12:28 pm

Ramashankar mishra

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शहडोल. संक्रमण के इस दौर में जहां लोग बेरोजगारी का दंश झेल रहे थे वहीं जिले की अतूक वन संपदा में से तेंदूपत्ता यहां के परिवारों के लिए आय का जरिया बन गया। जिले के लगभग 1 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों ने 35 करोड़ से ज्यादा का तेंदूपत्ता संग्रहण कर अलग-अलग समितियों के माध्यम से विक्रय कर आय अर्जित की है लेकिन तेंदूपत्ता का सीधा लाभ शहडोल के युवाओं को नहीं मिल पा रहा है। उद्योग और प्रोसेसिंग की व्यवस्था न होने की वजह से हर साल तेंदूपत्ता दूसरे जिले और प्रांतों में सप्लाई हो जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो यहां उद्योग लगने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। कोरोना काल में स्थानीय व प्रवासी मजदूरों के हाथ से रोजगार छिन गया था। ऐेसें में स्थानीय वनोपज उनके लिए सहारा बना। काम-काज ठप होने की बदौलत लोग घरों पर बैठे थे इस समय का लोगो ने सदुपयोग किया और तेंदुपत्ता संग्रहण में जुट गए। जिसका परिणाम यह हुआ कि जिले के दक्षिण वनमण्डल में लक्ष्य से ज्यादा संग्राहकों ने तेंदूपत्ता संग्रहण किया। वहीं उत्तर वनमण्डल में भी लक्ष्य के अनुरूप संग्रहण किया गया।
लक्ष्य से 3 हजार बोरा ज्यादा संग्रहण
जिले के दो वनमण्डलो में से दक्षिण वनमण्डल तेंदूपत्ता संग्रहण में अव्वल रहा है। यहां इस सत्र में लक्ष्य से लगभग 3 हजार बोरा ज्यादा तेंदूपत्ता संग्रहण किया गया है। बताया जा रहा है कि दक्षिण वनमण्डल को इस सत्र में 49 हजार 600 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसके विपरीत विभाग ने 22 समितियों के माध्यम से 62 हजार 11 हितग्राहियों से 52 हजार 682 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण किया गया है। जिसके एवज में संग्राहकों को लगभग 13 करोड़ 17 लाख 4 हजार रुपए का भुगतान किया गया।
महुआ, तेंदू, गोही, चिरौंजी सहित कई वनोपज का भंडार
चोरो तरफ से वन संपदा से घिरे शहडोल संभाग में वनोपज की अपार संभावनाएं है। आवश्यकता है तो इन वनोपज से संबंधित छोटे-छोटे स्थापित करने व इनके प्रति लोगों को जागरुक करने की। इस दिशा में प्रयास किए जाएं और लोगों को इससे जोड़ा जाए तो क्षेत्र विकास के पथ पर अग्रसर हो सकता है। तेंदूपत्ता के अलावा भी संभाग में कई ऐसे वनोपज हैं जिनके संग्रहण व बिक्री को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई है। यदि अन्य वनोपजों के संरक्षण को लेकर प्रयास शुरु किए जाएं तो वह संभाग के लिए काफी कारगर साबित हो सकते हैं। वन संपदा से घिरे शहडोल संभाग में महुआ, तेंदू, गोही सहित अन्य वनोपज पाए जाते हैं। हालांकि तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य ही हर वर्ष सर्वाधिक होता है।
प्रोसेसिंग और बाजार मिले तो होगा लाभ
जिले में दो वन मण्डल है जहां अकूल वनसंपदा विद्यमान है। इन वन संपदाओं की प्रोसेसिंग व बाजार उपलब्ध कराने की समुचित व्यवस्था हो तो यहां के लोगों के लिए रोजगार के बेहतर अवसर तैयार हो सकते हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण कर उसे स्थानीय लोगों द्वारा वन विभाग को विक्रय किया जाता है। जिसे विभाग गोदामो में संग्रहित कर बाहर के व्यापारियों को बेचता है। यदि स्थानीय स्तर पर इसके प्रोसेसिंग की व्यवस्था हो जाए तो इसका और भी बेहतर लाभ लोगों को मिलने लगेगा।
सीधे खाते में भेजा तेंदूपत्ता की राशि
उल्लेखनीय है कि तेंदुपत्ता संग्राहकों को इसका सीधा लाभ मिला है। तेंदूपत्ता संग्रहण के बाद संबंधित समितियों को बोरा सौंपने के साथ ही उनके खाते में सीधे राशि का भुगतान किया गया। जिससे हितग्राहियों को भुगतान के लिए वन विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़े। उनकी मेहनत का पैसा सीधे उनके खाते में पहुंचा है।
फैक्ट फाइल
दक्षिण वन मण्डल
लक्ष्य 49600 मानक बोरा
संग्रहण 52682 मानक बोरा
राशि 13174 588 रुपए
हितग्राही 62011
समितियां 22
उत्तर वनमण्डल
लक्ष्य 92000 मानक बोरा
संग्रहण 90322 मानक बोरा
राशि 225808000 रुपए
समितियां 33

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