कुपोषित बच्चों के लिए चार फॉलोअप
एनआरसी में कुपोषित बच्चों के लिए कुल चार फॉलोअप होते हैं। हर फॉलोअप 14 दिन का होता है। इसमें एक बच्चे पर 14 दिन के लिए 700 रुपए खर्च होते हैं। वहीं मां को क्षतिपूर्ति भत्ता के रुप में 1680 रुपए मिलता है। आदिवासी समाज में कुपोषित बच्चे ज्यादा संख्या में मिलने की वजह फैला अंधविश्वास है। समाज के लोग बच्चे का इलाज कराने की जगह झाडफ़ूक कराते हैं।
संभाग में 45 हजार कुपोषित बच्चे
संभाग में कुपोषण के बेहद खराब हालात हैं। संभाग में 45 हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं। इसमें अधिकांश बच्चे कुपोषित परिवार के शामिल हैं। अकेले शहडोल जिले की बात करें तो 25 हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं। कई कुपोषित बच्चों की हाल ही में मौत भी हो चुकी है। कुछ समय पहले पूर्व कमिश्नर और कलेक्टर ने कुपोषण को लेकर प्लानिंग की थी लेकिन तबादले के बाद ये भी कागजों तक ही सीमित रह गई।
मई माह में मिले सबसे ज्यादा कुपोषित
जिले में मई माह में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे मिले हैं। मई माह में एनआरसी में कुल 67 कुपोषित बच्चे भर्ती हुए हैं। इसमें आदिवासी कुपोषित बच्चों की संख्या 50 है। अप्रैल में 36 कुपोषित में से 33 कुपोषित बच्चे भर्ती हुए। जून में 65 कुपोषित बच्चों में से 49 तथा जुलाई में 37 कुपोषित बच्चों में से 24 आदिवासी बच्चे भर्ती हुए।