कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफे लेने और जिपं अध्यक्ष के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी अलग- अलग खेमे में बंट गई है और गुटबाजी तेज हो गई है। उधर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बिना किसी शोर-शराबे के आदिवासी अंचल में अपनी पैठ मजबूत कर रही है।
गोंगपा का जोड़तोड़, आदिवासी अंचलों में विशेष फोकस
भाजपा और कांग्रेस के भीतरघात और अंतर्कलक का फायदा तीसरी पार्टी गोगपा को मिल सकता है। गोगपा के पदाधिकारियों ने आदिवासी गांवों में अपना मूवमेंट बढ़ा दिया है और लगातार दौरा कर रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य ब्यौहारी और जैतपुर विधानसभा में गोगपा ने अपना दायरा बढ़ाया और पदाधिकारियों ने दावेदारी के लिए जोड़ तोड़ शुरू कर दिया है। हाल ही में दो दिन पहले गोगपा स्टूडेंट यूनिट की शहडोल में बैठक भी रखी गई। जिसमें आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी रणनीति तैयार की।
यहां पर मप्र के अलावा झारखण्ड और ओडि़शा तक के पदाधिकारी शामिल हुए हैं। इसके अलावा चुनाव को लेकर 24 जून को गोगपा का जबलपुर में कार्यक्रम हैं, जिसमें शहडोल जिले से लगभग 15 हजार कार्यकर्ता शामिल होंगे।
आदिवासी वोटर्स से बिगड़ेगा समीकरण
कांग्रेस इन दिनों आपस में तीन खेमे में बंटी हुई है। भितरघात के चलते कांग्रेस के वोट भी काफी प्रभावित होंगे। भाजपा में भी काफी उठापटक चल रही है। हाइकमान बड़े पदाधिकारियों के कमजोर नेतृत्व के चलते बदलाव को लेेकर भी विचार कर रहा है।
हाल ही में संगठन की बैठक में कमियां उजागर हुई थीं। जिसके बाद संगठन मंत्री ने चेतावनी देते हुए पदाधिकारियों को बूथ कमेटियों को लेकर और मजबूत करने की बात कही थी। इसी तरह जिपं अध्यक्ष के कांग्रेस में शामिल होने से आदिवासी वोटर्स का समीकरण बिगड़ेगा। जिपं अध्यक्ष नरेन्द्र मरावी से आदिवासी अंचलों का काफी वोट जुड़ा हुआ था। भाजपा के लिए एक बार फिर ब्यौहारी और जैतपुर में कड़ी टक्कर से होकर गुजरना पड़ेगा।