पढि़ए कामयाबी की ये कहानी
सब्जी मण्डी में मजदूरी करने वाले गिरजाशंकर श्रीवास्तव की बेटी ने अपनी मेहनत के दम पर पूरे परिवार को खुशियों से लवरेज कर दिया है। यह खुशी है अभाव में जीवन यापन करने के बाद भी छोटी बेटी द्वारा हाईस्कूल की परीक्षा में ९३ प्रतिशत अंक लाने की। दो कमरों के खपरैल मकान में बिना बिजली पानी के जीवन यापन करने वाले गिरजाशंकर का परिवार पैसों से भले ही अमीर न हो लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में उनकी बेटियों ने उन्हें धनवान बना रखा है।
एक बेटी बीकॉम कर चुकी है तो दूसरी अभी बीकॉम फाइनल इयर है वहीं अब छोटी बेटी प्रिंसी श्रीवास्तव ने भी अपनी बहनों के नक्शेकदम पर चलकर पढ़ाई को अपना लक्ष्य बना लिया है। शिक्षा के क्षेत्र में उसकी लगन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संसाधनों के अभाव में भी उसने हाईस्कूल की परीक्षा में 500 में से 463 अंक अर्जित कर अपने परिवार और स्कूल का नाम रोशन किया है।
शासकीय विद्यालय की है छात्रा
मोहनराम तालाब किनारे अपने परिवार के साथ रह रही प्रिंसी श्रीवास्तव स्थानीय रामकृष्ण परमहंस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा है। संसाधनों के अभाव के साथ ही शासकीय विद्यालय में अध्ययन कर रही प्रिंसी ने तमाम समस्याओं को मात देकर इस मुकाम तक पहुंची है। अब वह आगे भी जो कमी रह गई है उसे पूरा करने के प्रयास में जुट गई है।
मां का था सपना बच्चे पढ़ें
प्रिंसी श्रीवास्तव की मां कमला श्रीवास्तव की मंशा थी कि उनके बच्चे पढ़ें। कमला श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी पढऩे की बहुत इच्छा थी लेकिन किन्ही कारणों से वह पांचवी तक ही पढ़ सकीं। जिसके बाद उन्होंने लक्ष्य बना लिया था कि वह अपने बच्चों को जरूर पढ़ायेंगी उनके इस सपने को अब उनकी बेटियां साकार कर रही है। प्रिंसी की इस सफलता से उनका पूरा परिवार बहुत खुश है लेकिन प्रिंसी को इस बात का मलाल है कि उसकी मेहनत में कहीं न कहीं कमी रही तभी वह प्रदेश की प्रवीण्य सूची में अपनी जगह नहीं बना पाई।
प्रोत्साहन मिले तो संवर जाए भविष्य
अन्य बच्चों की तुलना में अभाव में जीवन यापन करने वाले गिरजा शंकर की बेटी प्रिंसी श्रीवास्तव में प्रतिभा छिपी हुई है। आवश्यकता है तो प्रोत्साहन कि यदि उसे सही समय में प्रोत्साहन और सहयोग मिले तो आगे वो इससे भी बेहतर परिणाम लाकर अपने परिवार के साथ पूरे जिले को गौरवान्वित कर सकती है। इतना ही नहीं सही सुविधा और मार्गदर्शन मिले तो यही टैलेंट दुनिया में भारत का नाम रोशन कर सकती है। जब इतने अभावों में प्रतिभा और शार्प दिमाग के दम पर ये कामयाबी हासिल कर सकती हैं, तो सुविधा और मार्गदर्शन मिलने के बाद क्या-क्या नहीं कर सकतीं। सही मायनों में देखा जाए तो भारत के असली भविष्य तो यही हैं।