आदिवासी की भूमि गैर आदिवासी को सामान्य परिस्थितियों में बिक्री नहीं की जा सकती है। आदिवासी जिलों में अधिकांश क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय निवासरत है। आदिवासियों की भूमि खरीदने के लिए अपने यहां काम करने वाले या फिर विश्वासपात्र आदिवासी को बहला फुसलाकर रजामंद करते हैं। इसके बाद कारोबारी पैसे लगाते हैं और चेहरा व नाम संबंधित आदिवासी का रहता है। पंजीयन कार्यालय में भी उसी चेहरे को सामने किया जाता है। पंजीयन कार्यालय में भी बेरोक-टोक रजिस्ट्री हो जाती है। इसी तरह बिक्री में भी खेल होता है। बिचौलिए बहला-फुसलाकर आदिवासियों की भूमि बेच देते हैं। बाद में हर माह छोटी-छोटी रकम देते रहते हैं।
रजिस्ट्री के दौरान कम स्टाम्प ड्यूटी लगे इसके लिए उनके द्वारा संबंधित भूमि की तस्वीर, लोकेशन के साथ छेड़-छाड़ कर प्रस्तुत किया जाता है। व्यावसायिक को आवासी दिखाकर भी कम स्टाम्प ड्यूटी जमा करने का खेल खेला जाता है। 20 हजार से अधिक की वैल्यू होने पर चेक से भुगतान का प्रावधान है। जिससे भी बचने के लिए कारोबारी 20 हजार से कम वैल्यूएशन करते हैं।
उप पंजीयक कार्यालय में होने वाली रजिस्ट्री व जमीन संबंधी कार्यों में जमा होने वाली स्टाम्प ड्यूटी में भी हेरफेर कर रहे हैं। वर्ष 2020-21 में लगभग 35 ऐसे मामले सामने आए हैं जो संदिग्ध थे। गड़बड़ी उजागर होने पर उप पंजीयक द्वारा प्रकरण तैयार कर पंजीयक को भेजा गया। कई मामलो में अतिरिक्त स्टाम्प ड्यूटी भी जमा कराई। इसमें आदिवासियों की भूमि के भी शामिल हैं।
उमरिया अनूपपुर के कोयलांचल क्षेत्र शामिल हैं। इसी तरह शहडोल के तीन बड़े शिक्षण संस्थान मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी व इंजीनियरिंग कॉलेज क्षेत्रों में रजिस्ट्रियां हो रही हैं। जिसमें से कुदरी, चांपा, हरदी, पोंगरी, कोटमा, विचारपुर, पचगांव, वासिन विरान व नवलपुर सहित इससे लगे गांवों में पिछले कुछ वर्षों में जमीन की खरीदी बिक्री के बाद प्लाटिंग और कॉलोनी निर्माण बढ़ा है।
प्रशासनिक पड़ताल में भी पूर्व में कई कृषि भूमि की बिना अनुमति प्लाटिंग के मामले प्रकाश में आ चुके हैं। प्रशासन ने 65 लोगों को नोटिस जारी किए थे।
– आदिवासी के नाम से खरीदी गई भूमि में प्लाटिंग और कॉलोनियों का किया जा रहा निर्माण।
– कृषि योग्य भूमि की कर रहे प्लाटिंग, बेनामी संपत्ति के बढ़ रहे मामले।
– फोटो व लोकेशन के साथ ही व्यावसायिक को आवासीय दर्शा कर स्टाम्प ड्यूटी की हो रही चोरी।
– चैक पेमेन्ट से बचने 20 हजार से कम की कर रहे वैल्यूएशन।
– अवैध कॉलोनियों व बिना डायवर्सन प्लाटिंग से राजस्व को नुकसान।
– कृषि भूमि के स्वरूप में परिवर्तन पर सख्ती से लगे प्रतिबंध।
– बिना स्वीकृति आवासीय कॉलोनियों के निर्माण पर हो कार्रवाई।
– कॉलोनी निर्माण की स्वीकृति के बाद ही भूमि का हो नामांतरण।
– भू-स्वामी के खाते में जमा हो जमीन की पूरी राशि। चैक से कराया हो भुगतान।
– कॉलोनाइजर सक्षम अधिकारी की अनुमति के बाद ही करा सके कॉलोनी का निर्माण।
ब्यौहारी तहसील के नजदीक सरकारी ठेकेदार ने रखूस के चलते फार्म हाउस तैयार कर रखा है। ये भूमि रेकार्ड में आदिवासी युवक के नाम पर दर्ज है, जबकि रसूखदार ठेकेदार का निर्माण है। केस- 2
मेडिकल कॉलेज शुरू होते ही यहां आदिवासी वर्ग की भूमि का सौदा रसूखदारों ने कर दिया है। भूमि की जांच कराई जाए तो हकीकत सामने आएगी। जहां प्लाटिंग हो रही है, वे आदिवासियों के नाम पर हैं।
आदिवासियों की इस तरह से भूमि बिक्री करना गंभीर मामला है। जांच कराएंगे। पुरानी रजिस्ट्रियों की भी जांच कराएंगे। यदि ऐसा है तो रेकार्ड खंगालकर कार्रवाई कराएंगे।
राजीव शर्मा, आयुक्त
संभाग शहडोल