scriptपिता ने कहा- एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते ही बेहोश हुई मां, एक ही गांव में 9 लोगों का अंतिम संस्कार | Emotional story: Funeral of 9 people in Shahdol | Patrika News
शाहडोल

पिता ने कहा- एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते ही बेहोश हुई मां, एक ही गांव में 9 लोगों का अंतिम संस्कार

शुक्रवार को औरंगाबाद में रेल हादसे में एमपी के 16 मजदूरों की मौत हो गई थी।

शाहडोलMay 10, 2020 / 08:58 pm

Pawan Tiwari

पिता ने कहा- एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते ही बेहोश हुई मां, एक साथ 9 लोगों का हुआ अंतिम संस्कार

पिता ने कहा- एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते ही बेहोश हुई मां, एक साथ 9 लोगों का हुआ अंतिम संस्कार


शहडोल. औरंगाबाद रेल हादसे के बाद 16 मजदूरों का शव लेकर ट्रेन शनिवार की दोपहर शहडोल पहुंची तो सबकी आंख भर आईं। शहडोल के एक ही गांव के नौ मजदूरों का शव लेकर एंबुलेंस गांव पहुंची तो पूरे गांव का कलेजा फट गया। हर कोई स्तब्ध था। पूरा गांव रो रहा था। एंबुलेंस देखते ही किसी की मां तो किसी के वृद्ध पिता ने दौड़ लगा दी। परिजन बिलखने लगे। पूरा गांव शोक में डूबा रहा। शहडोल के जयसिंहनगर ब्लॉक में एक साथ नौ शव देखकर हर किसी का धैर्य टूट गया। सिर्फ आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी। लगभग 6 बजे अधिकारी शव लेकर गांव पहुंचे। अंधेरा होने की वजह से यहां पर शव को दफनाया गया। अलग- अलग जगहों पर नौ मजदूरों को दफनाया गया। परिजन आखिरी वक्त पर भाई, बेटा और पति को भी नहीं देख सके। शव घर तक भी नहीं ले जाया गया। गांव से दो किमी दूर अधिकारियों ने शाम 7 बजे से गायत्री मंत्र के साथ दफनाना शुरू किया। विलाप करते परिजनों का कहना था कि एक बार शव घर तक तो पहुंच जाता। आखिरी दर्शन कर लेते। चेहरा भी नहीं देख पाए और दफना दिया गया। अधिकारियों ने घर से परिजनों को लाकर शव दफनाना शुरू किया। देर शाम तक प्रशासन की टीम यहां मजदूरों के शव को दफनाती रही।
सरकार पहले तो लाई नहीं, अब टुकड़े लेकर आ रही, मुझे नहीं चाहिए
मृतक शिवदयाल और बृजेश के बाबा विलाप करते हुए सरकार को कोसते हुए नजर आए। बाबा का कहना था कि सरकार ने पहले कोई व्यवस्था नहीं की। मेरे घर से एक साथ दो जवान बेटों की मौत हुई है। पहले जिंदा लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। हम गांव के नेताओं के यहां जाते थे। अधिकारियों के पास भी जाते थे लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अब जब मौत हो गई है कि शव की गठरियों को लेकर सरकार आई है। ये अब सरकार के ही हैं। मैं तो पहचान भी नहीं पा रहा हूं। अब मुझे नहीं चाहिए। इतना कहते हुए बाबा बेसुध हो जाता है।
थाली की सूखे चावल और रोटियां बयां कर रही दर्द
मृतक शिवदयाल और बृजेश के बाबा शुभकरण शुक्रवार की दोपहर खाना खाने के लिए बैठे थे, तभी अधिकारी मौत की खबर लेकर पहुंचे थे। यहां एक ही घर से दो लोगों की मौत हुई है। बाबा शुभकरण के थाली के सूखे चावल और रोटियां आज भी रखी हुई थी। उसके बाद दोबारा उस घर में चूल्हा नहीं चला।

आखिरी शब्द बार-बार कानों में गूंज रहा है। धमेन्द्र ने यहां से पलायन करने के पहले फोन किया था। जनवरी माह का अंतिम सप्ताह था। फोन पर कहा था नेता जी बीए तक पढ़ाई पूरी हो गई है, अब यहीं नौकरी दिला दो। विश्वास नहीं हो रहा है कि धमेन्द्र अब हमेशा के लिए सबको अलविदा कह गया है। इतना कहते हुए जिला पंचायत सदस्य और आदिवासी नेता तेज प्रताप उइके भावुक हो जाते हैं। आंसू पोछते और वृद्ध पिता को ढांढ़स बंधाते हुए कहते हैं काश धमेन्द्र को उस वक्त की रोक लिया होता। पत्रिका से बातचीत में जिपं सदस्य तेज प्रताप उइके ने बताया कि, मजदूरी करने महाराष्ट्र जाने से पहले धमेन्द्र ने जनवरी में फोन किया था। परिवार की आर्थिक स्थिति भी बताई थी। खेती के लिए जमीन भी पर्याप्त नहीं थे। शहडोल में कोई रोजगार नहीं था। गांव के युवा हर साल पलायन कर जाते थे। दूसरे प्रांत में मजबूरी के बाद कुछ माह पर पूंजी जमा कर वापस लौटते थे। धमेन्द्र भी उनके साथ महाराष्ट्र रवाना हो गया था, लेकिन पता नहीं था कि अब वापस नहीं आएगा।

पिता की जिद, एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते की मां बेहोश, पिता की भी टूटी हिम्मत
उमरिया के ममान गांव जैसे ही शव लेकर एंबुलेंस पहुंची तभी बृजेन्द्र की मां बेसुध हो गई। शव की ओर दौड़ लगाने लगी। आसपास बैठी महिलाओं ने हिम्मत दी। शव के नजदीक बैठकर बृजेन्द्र की मां टकटकी लगाई रही। वृद्ध पिता बार- बार बेटे के शव को देखने की जिद कर रहा था। अधिकारियों ने पॉलीथिन का बैग खोलने से मना किया तो पिता जिद करने लगा । भाई ने बैग को खोलने का प्रयास किया तो शव के टुकड़े – टुकड़े और गठरिया देख वृद्ध पिता की हिम्मत टूट गई और बेहोश हो गया। बाद में अधिकारियों ने ढांढ़स बंधाया फिर दाह संस्कार कराने के लिए ले गए। उधर बेसुध मां बार – बार शव के पीछे दौड़ लगाती रही ।
पिता ने कहा- एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते ही बेहोश हुई मां, एक साथ 9 लोगों का हुआ अंतिम संस्कार
शाम को अंतिम संस्कार, गांव में मातम
वही, उमरिया के पांच मजदूरों का शव ट्रेन से पहुंचा। मजदूरों का अंतिम संस्कार जनप्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में परिवार के लोगों ने किया। मजदूर अच्छे लाल ग्राम चिल्हारी के अंतिम संस्कार में एसडीएम मानपुर योगेश तुकाराम भरसठ, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, तहसीलदार विनय मूर्ति शर्मा शामिल हुए। अमडी में मजदूर प्रदीप सिंह, नेउसा में मजदूर मुनीम सिंह और नेउसा में मृतक नेमशाह सिंह का अंतिम संस्कार प्रशासन ने किया। जिला प्रशासन व्दारा इन श्रमिकों के परिजनोंं को उमरिया जिले में दान की राशि से संचालित मदद सहकारी उप समिति से जिला प्रशासन व्दारा मृतकों के परिवार ं को एक-एक लाख रुपये की तत्कालिक मदद की गई है। इस दौरान कलेक्टर स्वरोचिश सोमवंशी, जिपं अध्यक्ष ज्ञानवती सिंह ने ममान में मृतक बिजेंद्र सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो