मृतक शिवदयाल और बृजेश के बाबा विलाप करते हुए सरकार को कोसते हुए नजर आए। बाबा का कहना था कि सरकार ने पहले कोई व्यवस्था नहीं की। मेरे घर से एक साथ दो जवान बेटों की मौत हुई है। पहले जिंदा लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। हम गांव के नेताओं के यहां जाते थे। अधिकारियों के पास भी जाते थे लेकिन कोई मदद नहीं मिली। अब जब मौत हो गई है कि शव की गठरियों को लेकर सरकार आई है। ये अब सरकार के ही हैं। मैं तो पहचान भी नहीं पा रहा हूं। अब मुझे नहीं चाहिए। इतना कहते हुए बाबा बेसुध हो जाता है।
मृतक शिवदयाल और बृजेश के बाबा शुभकरण शुक्रवार की दोपहर खाना खाने के लिए बैठे थे, तभी अधिकारी मौत की खबर लेकर पहुंचे थे। यहां एक ही घर से दो लोगों की मौत हुई है। बाबा शुभकरण के थाली के सूखे चावल और रोटियां आज भी रखी हुई थी। उसके बाद दोबारा उस घर में चूल्हा नहीं चला।
आखिरी शब्द बार-बार कानों में गूंज रहा है। धमेन्द्र ने यहां से पलायन करने के पहले फोन किया था। जनवरी माह का अंतिम सप्ताह था। फोन पर कहा था नेता जी बीए तक पढ़ाई पूरी हो गई है, अब यहीं नौकरी दिला दो। विश्वास नहीं हो रहा है कि धमेन्द्र अब हमेशा के लिए सबको अलविदा कह गया है। इतना कहते हुए जिला पंचायत सदस्य और आदिवासी नेता तेज प्रताप उइके भावुक हो जाते हैं। आंसू पोछते और वृद्ध पिता को ढांढ़स बंधाते हुए कहते हैं काश धमेन्द्र को उस वक्त की रोक लिया होता। पत्रिका से बातचीत में जिपं सदस्य तेज प्रताप उइके ने बताया कि, मजदूरी करने महाराष्ट्र जाने से पहले धमेन्द्र ने जनवरी में फोन किया था। परिवार की आर्थिक स्थिति भी बताई थी। खेती के लिए जमीन भी पर्याप्त नहीं थे। शहडोल में कोई रोजगार नहीं था। गांव के युवा हर साल पलायन कर जाते थे। दूसरे प्रांत में मजबूरी के बाद कुछ माह पर पूंजी जमा कर वापस लौटते थे। धमेन्द्र भी उनके साथ महाराष्ट्र रवाना हो गया था, लेकिन पता नहीं था कि अब वापस नहीं आएगा।
पिता की जिद, एक बार चेहरा दिखा दो, शव देखते की मां बेहोश, पिता की भी टूटी हिम्मत
उमरिया के ममान गांव जैसे ही शव लेकर एंबुलेंस पहुंची तभी बृजेन्द्र की मां बेसुध हो गई। शव की ओर दौड़ लगाने लगी। आसपास बैठी महिलाओं ने हिम्मत दी। शव के नजदीक बैठकर बृजेन्द्र की मां टकटकी लगाई रही। वृद्ध पिता बार- बार बेटे के शव को देखने की जिद कर रहा था। अधिकारियों ने पॉलीथिन का बैग खोलने से मना किया तो पिता जिद करने लगा । भाई ने बैग को खोलने का प्रयास किया तो शव के टुकड़े – टुकड़े और गठरिया देख वृद्ध पिता की हिम्मत टूट गई और बेहोश हो गया। बाद में अधिकारियों ने ढांढ़स बंधाया फिर दाह संस्कार कराने के लिए ले गए। उधर बेसुध मां बार – बार शव के पीछे दौड़ लगाती रही ।
वही, उमरिया के पांच मजदूरों का शव ट्रेन से पहुंचा। मजदूरों का अंतिम संस्कार जनप्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में परिवार के लोगों ने किया। मजदूर अच्छे लाल ग्राम चिल्हारी के अंतिम संस्कार में एसडीएम मानपुर योगेश तुकाराम भरसठ, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, तहसीलदार विनय मूर्ति शर्मा शामिल हुए। अमडी में मजदूर प्रदीप सिंह, नेउसा में मजदूर मुनीम सिंह और नेउसा में मृतक नेमशाह सिंह का अंतिम संस्कार प्रशासन ने किया। जिला प्रशासन व्दारा इन श्रमिकों के परिजनोंं को उमरिया जिले में दान की राशि से संचालित मदद सहकारी उप समिति से जिला प्रशासन व्दारा मृतकों के परिवार ं को एक-एक लाख रुपये की तत्कालिक मदद की गई है। इस दौरान कलेक्टर स्वरोचिश सोमवंशी, जिपं अध्यक्ष ज्ञानवती सिंह ने ममान में मृतक बिजेंद्र सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल हुए।