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शाहडोल

लचर व्यवस्थाओं के बीच दम तोड़ते मरीज परिजनों ने कहा- बाहर से मंगाते थे इंजेक्शन

परिजनों ने लगाए लापरवाही के आरोप, कहा- खाना छोड़कर चले जाते थे, दोबारा नहीं आते थे देखने डॉक्टर

शाहडोलNov 01, 2020 / 12:07 pm

amaresh singh

Family members said - used to ask for injection from outside

लचर व्यवस्थाओं के बीच दम तोड़ते मरीज परिजनों ने कहा- बाहर से मंगाते थे इंजेक्शन

शहडोल. मेडिकल कॉलेज शहडोल में लगातार कोरोना मरीजों की मौत ने प्रबंधन की व्यवस्थाओं के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लचर सिस्टम के चलते लगातार मरीजों की मौत हो रही है। चिकित्सा सुविधाओं में कमी और लापरवाही के आरोपों के बाद पत्रिका ने मरीजों की मौत मामले में डेथ एनालिसिस किया। यहां मृतकों के परिजनों का दर्द खुलकर सामने आया। परिजनों ने कॉलेज प्रबंधन पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है। परिजनों का कहना था कि मरीजों के इलाज के नाम पर बाहर से महंगे इंजेक्शन मंगाए जाते थे लेकिन डॉक्टर देखने तक नहीं जाते थे। बार्ड वॉय और सुरक्षाकर्मियों को पीपीई किट पहनाकर अंदर भेजा जाता था। ऑक्सीजन से लेकर जांच तक डॉक्टर नहीं लगाते थे। अप्रशिक्षित कर्मचारियों से ऑक्सीजन का स्तर कम ज्यादा कराया जाता था। कई बार तो ऑक्सीजन की बेहद कमी बनी रहती थी। मरीज इन अव्यवस्थाओं को घर पर भी साझा करता था। आपत्ति करने पर भी प्रबंधन ध्यान नहीं देता था। परिजनों के अनुसार, डेथ ऑडिट को लेकर भी प्रबंधन का फोन आया था, जिसमें ये सब अव्यवस्थाएं बताई हैं।
ऑक्सीजन कमी की बनी थी बड़ी समस्या
मेडिकल कॉलेज में मरीजों के इलाज में शुरुआत में ऑक्सीजन की कमी सबसे बड़ी समस्या बनी थी। लगातार हाइरिस्क मरीज के चलते वेंटीलेटर और आइसीयू में रखने से ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा में कमी थी। लगातार मरीजों की मौत हो रही थी। बाद में प्रशासन और प्रबंधन ने व्यवस्थाएं बनाई। आसपास के जिलों से उधार में ऑक्सीजन सिलेंडर लिया। बाद में जैतहरी में ऑक्सीजन प्लांट शुरू कराया गया। इस बीच कई मरीजों की मौत मामले में परिजनों ने ऑक्सीजन की कमी और लापरवाही का आरोप लगाया था।


कोरोना से मेडिकल कॉलेज में संभाग के 59 मरीजों की मौत
मेडिकल कॉलेज में अब तक संभाग के 59 मरीजों की मौत हो चुकी है। हर सप्ताह मरीजों की मौत हो रही है। प्रबंधन के अनुसार, मरीज भी कोरोना को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं। हालत बिगडऩे के बाद मेडिकल कॉलेज आ रहे हैं। हाइरिस्क मरीज होने के चलते सीधे आइसीयू में भर्ती किया जा रहा है। अब आने वाले अधिकांश मरीज हाइरिस्क शामिल हैं। इसके चलते कई मरीजों को बचा पाना मुश्किल रहता है।


54-54 सौ के मंगाए इंजेक्शन, पूछने पर डॉक्टर, कहते थे- खुद लगा लो
बुढ़ार के कॉलेज कॉलोनी निवासी अजय प्रजापति 39 वर्ष की हाल ही में मेडिकल कॉलेज में मौत हुई थी। अजय के भाई कृष्ण कुमार प्रजापति के अनुसार, ऑक्सीजन लगाकर छोड़कर चले जाते थे। कोई देखने नहीं आता था। 54 – 54 सौ के छह इंजेक्शन मंगाए थे। प्रबंधन कहता था बुखार कम करने के लिए लगाएंगे। कई अन्य इंजेक्शन भी मंगाया गया था। भाई बताता था, कि खाना नहीं दिया जा रहा है। डॉक्टर नहीं आ रहे हैं। विरोध करने पर प्रबंधन से विवाद की स्थिति बनती थी। डॉक्टर्स कहते थे, खुद इलाज कर लो। भाई के इलाज में बड़ी लापरवाही हुई है। प्रशासन और अधिकारियों को मौत के मामलों में जांच करानी चाहिए।


इलाज करने नहीं आते थे डॉक्टर, विरोध पर कहते थे घर ले जाओ
अनूपपुर फुनगा निवासी लालचन्द्र अग्रवाल का देहांत मेडिकल कॉलेज शहडोल में हुआ था। वे कोरोना पॉजिटिव रहे हैं। पुत्र ओमप्रकाश अग्रवाल ने चिकित्सा सुविधाओं को लेकर आरोप लगाए हैं। ओमप्रकाश अग्रवाल के अनुसार, बाहर से किसी तरह हाथ जोड़कर छह इंजेक्शन खरीदे थे। हालत बिगडऩे पर डॉक्टरों से बात करते थे। इलाज न मिलने पर आपत्ति करते थे तो कहा जाता था कि घर ले जाओ। समय पर डॉक्टर नहीं आते थे। बार्डवाय इलाज करने जाते थे। प्रबंधन द्वारा बाहर से इंजेक्शन मंगाया जाता था। पिता के इलाज में कई स्तर पर लापरवाही बरती गई है। इसकी कई जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत की है।

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