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शाहडोल

जहां से शुरू हुई विकास यात्रा, वहां चलने को सड़क नहीं, 200 फीट नीचे खाई से पानी भरते हैं आदिवासी

धाधोकुई पंचायत का दाल गांव विकास में पिछड़ा, न जिले के अधिकारियों ने ली सुध, न जनप्रतिनिधि गए

शाहडोलFeb 14, 2023 / 12:18 pm

Ramashankar mishra

जहां से शुरू हुई विकास यात्रा, वहां चलने को सड़क नहीं, 200 फीट नीचे खाई से पानी भरते हैं आदिवासी

जहां से शुरू हुई विकास यात्रा, वहां चलने को सड़क नहीं, 200 फीट नीचे खाई से पानी भरते हैं आदिवासी

शहडोल. जिले के अंतिम छोर धाधोकुई ग्राम पंचायत के दाल गांव के ग्रामीण सड़क, बिजली और पानी के लिए दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। 8 किमी खड़ी पहाड़ी पर पथरीला रास्ता और पानी के लिए 200 फीट नीचे खतरनाक गहरी खाई में उतरना यहां के ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। इसी धाधोकुई पंचायत से विकास यात्रा की शुरुआत हुई है लेकिन दाल गांव दुश्वारियां देखने न तो कोई अफसर गांव तक पहुंचा और न ही जनप्रतिनिधियों ने सुध ली। गांव में पानी के लिए 2-3 किमी तक पैदल चलना पड़ता है। इसके बाद यहां से ग्रामीण पानी के लिए पहाड़ से नीचे गहरी खाई में उतरते हैं। खाई लगभग 2 से 3 सौ फीट गहरी है। पहाड़ी का पतला रास्ता है। ग्रामीण कहते हैं, बर्तन लेकर चढ़ते उतरते वक्त थोड़ा भी संतुलन बिगडऩे पर सीधे खाई में नीचे गिरने का डर बना रहता है। ग्रामीण पहाड़ के नीचे से कांधे के सहारे लाठी पर डिब्बों को टांगकर पानी लाते हैं। पानी के लिए दाल गांव में पहले 2 किमी जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है। इसके बाद पानी के लिए 200 फीट नीचे खाई में नीचे उतरना पड़ता है। ग्रामीण बताते हैं, गांव में एक हैंडपंप है, उसका भी पानी नहीं आता है। पहले हैण्डपंप लगाया गया था लेकिन ऊपर तक पानी ही नहीं पहुंचा। हर दिन सुबह 5 बजे से झिरिया से पानी लाने के लिए लंबी लाइन लग जाती है। सुबह 9 बजे तक पानी लाते हैं, फिर दोपहर बाद फिर पानी लाना पड़ता है।
बड़े-बड़े बोल्डर, घना जंगल, गांव तक पहुंचने रास्ता ही नहीं
ब्यौहारी झिरिया गांव से दाल गांव का रास्ता है। यहां लगभग 8 किमी तक खड़ी पहाड़ी है। बोल्डर और बदहाल सड़क से गांव तक पहुंचना पड़ता है। शिक्षक कभी कभार बाते हैं, स्कूल भी बंद रहता है। गांव तक अधिकारी भी नहीं पहुंच पाते हैं। पूर्व में चुनाव के वक्त भी अधिकारी गांव के लिए निकले थे पर पहुंचे नहीं।
लापरवाही: यात्रा से अधिकारी गायब, कुछ सिर्फ खानापूर्ति के लिए जा रहे
जि ले में विकास यात्रा में लगातार अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। विकास यात्रा में न तो समस्याओं की सुनवाई हो रही है और न ही गांव के बड़े मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है। अधिकारी भी विकास यात्रा से गायब है। कुछ अधिकारी खानापूर्ति के लिए जा रहे हैं और बाद में रवाना हो जाते हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद कलेक्टर वंदना वैद्य ने भी सभी विभाग प्रमुखों को चि_ी लिखकर चेताया है। कलेक्टर ने पत्र में लिखा है कि विकास यात्रा समस्याओं के त्वरित निराकरण और योजनाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए चलाई जा रही है। विगत कुछ दिनों से जानकारी मिल रही है कि कई जगहों से विभिन्न विभागों के खंड स्तरीय अधिकारी विकास यात्रा में उपस्थित नहीं रहते हैं। कुछ अधिकारी थोड़ा समय देकर चले जाते हैं जो अत्यंत खेद जनक है। जिससे जिले की छवि धूमिल हो रही है। यह स्पष्ट होता है कि अधिकारी अपने दायित्वों के प्रति उदासीन व घोर लापरवाह हैं। कलेक्टर ने पत्र में कहा है कि यात्रा प्रारंभ होने से लेकर समापन तक अधिकारी रहे। लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई होगी।
विकास यात्रा से उम्मीद बढ़ी, पानी सड़क मिल जाए तो जीवन सुधर जाए
ग्रामीण कहते हैं, विकास यात्रा की शुरुआत हमारी पंचायत से हो रही थी तो उम्मीद बढ़ गई थी कि सड़क, बिजली और पानी के लिए सरकार सुध लेगी लेकिन अफसर व जनप्रतिनिधियों ने कोई सुनवाई ही नहीं की। सड़क, बिजली और पानी मिल जाए तो जीवन सुधर जाए। उपसरपंच महेन्द्र सिंह बताते हैं, गांव तक पहुंचने सड़क नहीं है। पानी के लिए सिर्फ गहरी खाई है। अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं।
इनका कहना है
दाल गांव टीम भेजेंगे। विकास यात्रा को लेकर शिकायत मिली थी कि अधिकारी जा नहीं रहे हैं। कुछ जगहों से अधिकारी आधी यात्रा से चले जा रहे हैं। सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिए हैं। समीक्षा की जा रही है। किसी भी स्तर पर अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
वंदना वैद्य, कलेक्टर, शहडोल

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