एनेस्थीसिया के डॉक्टरों का भी पेच सर्जरी के लिए एनेस्थीसिया के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। एनिस्थिसिया के लिए डॉ. स्थापक और डॉ. मनोज जायसवाल की ड्यूटी है। जिन्हें ओपीडी के अलावा अन्य कामों में भी लगा दिया जाता है। इसकी वजह से सर्जरी के लिए एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट का भी इंतजार करना पड़ता है।
सर्जरी न होने से लौटते हैं 20 फीसदी मरीज अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 20 फीसदी मरीज समय पर सर्जरी ना होने की वजह से लौट जातें हैं या फिर अन्य निजी क्लीनिकों का सहारा लेते हैं। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार हर रोज सर्जरी के लिए मरीज आते हैं। एक माह के भीतर सर्जरी के लिए 100 से अधिक केस आते हैं। इसमें डॉक्टर ना होने की वजह से 50 से 60 मरीजों की ही सर्जरी हो पाती है। अन्य मरीजों को वेटिंग में रखा जाता है। जिससे कई मरीज बाहर से सर्जरी कराते हैं।
अस्पताल की स्थिति पर एक नजर
सर्जरी स्पेशलिस्ट के स्वीकृत पद 02
अस्पताल में पदस्थ स्पेशलिस्ट ००
एनेस्थीसिया स्पेशलिट पदस्थ 02
सर्जिकल में हर माह भर्ती मरीज 300
सर्जरी के लिए चिहिंत मरीज 120
अस्पताल में होने वाली सर्जरी 60
हर हफ्ते मरीजों की सर्जरी 20
सर्जरी स्पेशलिस्ट के स्वीकृत पद 02
अस्पताल में पदस्थ स्पेशलिस्ट ००
एनेस्थीसिया स्पेशलिट पदस्थ 02
सर्जिकल में हर माह भर्ती मरीज 300
सर्जरी के लिए चिहिंत मरीज 120
अस्पताल में होने वाली सर्जरी 60
हर हफ्ते मरीजों की सर्जरी 20