script1927 में महाराजा रीवा गुलाब सिंह ने खोला था अदालत, अब 85 वर्ष बाद मिला सत्र न्यायालय का दर्जा | In 1927, Maharaja Rewa Gulab Singh opened the court, now 85 years late | Patrika News
शाहडोल

1927 में महाराजा रीवा गुलाब सिंह ने खोला था अदालत, अब 85 वर्ष बाद मिला सत्र न्यायालय का दर्जा

संभाग की सबसे पुरानी अदालत एडीजे कोर्ट से वर्षो रहा बंचित

शाहडोलMay 23, 2018 / 08:41 pm

shivmangal singh

 In 1927, Maharaja Rewa Gulab Singh opened the court, now 85 years later got the status of the sessions court

1927 में महाराजा रीवा गुलाब सिंह ने खोला था अदालत, अब 85 वर्ष बाद मिला सत्र न्यायालय का दर्जा

1927 में महाराजा रीवा गुलाब सिंह ने खोला था अदालत, अब 85 वर्ष बाद मिला सत्र न्यायालय का दर्जा
धनपुरी. पूरे अंचल के लिए बीती 19 मई का दिन बड़ी उपलब्धि के दिन के रूप में दर्ज होगा । इस दिन वर्तमान शहडोल संभाग के सबसे पहले और पुराना विचारण न्यायालय बुढ़ार को पूर्ण कालिक अतिरिक्त जिला एवं सत्र नयायलय का दर्जा मिला है। ज्ञातव्य है कि सबसे पहले 1927 में महाराजा रीवा गुलाब सिंहजी ने बुढ़ार में ही पूरे क्षेत्र का न्यायालय खोला था। शहडोल को जिला बनाए जाने के बाद भी अविभाजित अनूपपुर और उमरिया जिले का विचारण न्यायालय बढ़ार ही था। लेकिन बुढ़ार में पूर्ण कालिक अतिरिक्त जिला न्यायालय के लिए प्रयासों में कोई कमीं नहीं की गई। इसी क्रम में 1972 में तत्कालीन विधि मंत्री स्व. कृष्णपाल सिंह के प्रयासों से दोबारा एक सप्ताह के व्यव्हार न्यायाधीस वर्ग दो की एक सप्ताह की श्रंखला न्यायालय की शुरुआत बुढ़ार में हुई। जिसमें सबसे पहले न्यायाधीश के रूप में राकेश चन्द्र मिश्रा की नियुक्ति हुई जो आगे चलकर उच्च न्यायालय जबलपुर में जज भी बने। इस तरह बुढ़ार में श्रंखला न्यायालय स्थाई हो गई थी लेकिन इसके बाद कैम्प कोर्ट राजेन्द्रगाम लगने लगा जिसके चलते एक सप्ताह के लिए बुढ़ार के न्यायाधीश राजेन्द्रगाम जाने लगे और फिर श्रंखला न्यायालय नियमित नहीं पाई। तीसरी बार इसके लिए प्रयासों की शुरुआत बुढ़ार न्यायाल के आरंभ से 1988-89 तक अभिभाषक संघ के अध्यक्ष स्व. सरस्वती प्रसाद पटेल ने की जो 1952 से 1957 तक तत्कालीन बुढ़ार विधान सभा के पहले विधायक थे। स्वतंत्रता सेनानी तथा आजीवन स्वतंत्रता संग्राम सैनिक संघ के अध्यक्ष भी रहे स्व. श्री पटेल ने बुढ़ार कॉलेज व कॉलरी के रीजनल अस्पताल को प्रयास कर स्थापित करवाया था तथा इण्टक का 1948 में पंजीयन भी करवाया था जो तब रीवा राज्य मजदूर संघ के नाम पर था। स्व. सरस्वती प्रसाद पटेल के ही प्रयासों ओपीएम जब 1966 में प्रारंभ हुआ तो कागज कारखाना मजदूर संघ की स्थापना किया तथा मान्यता दिलवाई थी। वहीं स्व. श्री पटेल सन 1980 से अधिवक्ता संघ के माध्यम से एडीजे कोर्ट की मांग करते रहे। लेकिन उनके निधन के बाद फिर मामला थम सा गया जो लगभग 12 वर्ष पूर्व विश्वेष पटेल अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बनने पर फिर शुरू हुआ। इस तरह एक बार फिर बुढ़ार के हक में विश्वेश पटेल ने जोरदार प्रयास किया जिसमें शाससन की तरफ से सारे परीक्षण कराने के बाद उच्च न्यायालय को पत्र भी भेजा गया था कि बुढ़ार में पूर्ण कालिक अतिरिक्त जिला एवं सत्र नयायलय की स्थापना के लिए पत्र भेजा गया कि इसके लिए न्यायिक व्यवस्थाओं के जरूरी सब कुछ उपलब्ध कराएं। लेकिन बाद में बार काउन्सिल के नए चुनाव के बाद मामला ठण्डे बस्ते में चला गया।
दोबारा इसी वर्ष 26 फरवरी को विश्वेष पटेल के बुढ़ार अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एवं आलोक राय के उपाध्यक्ष बनते ही पुराना प्रयास शुरू किया जो रंग लाया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 2014 में यहां के अधिवक्ताओं ने एडीजे कोर्ट और तहसील की मांग को लेकर रिकॉर्ड 3 महीने लंबा अनशन तक किया था। जिसके परिणाम स्वरूप 19 अगस्त 2014 को दोबारा एडीजे की श्रंखला न्यायाल की स्थापना हुई और बुढ़ार तहसील की भी स्थापना हुई। लेकिन सभी चाहते थे कि बुढ़ार में श्रंखला के बजाय स्थाई न्यायालय बने। अपने नए कार्यकाल विशेवेश पटेल ने फिर से लिखा-पढ़ी तेज की और अंतत: अक्टूबर 2017 में शारदेय नवरात्रि के समय यहां श्रंखला न्यायालय को पूर्ण कालिक करने का आदेश हुआ लेकिन कतिपय कारणों के चलते तीसरी बार पूर्ण कालिक न्यायाल को श्रंखला न्यायालय कर दिया गया। जिसको लेकर बुढ़ार अधिवक्ता संघ ने हार नहीं मानी और प्रयासरत रहा और आखिर दोबारा सभी का सामूहिक प्रयास रंग लाया और बुढ़ार में पूर्णकालिक अतिरिक्त जिला एवं सत्र नयायलय की स्थापना हो ही गई जिसके आदेश 19 मई को हुए। यकीनन यह पूरे अंचल के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इस पूर्ण कालिक श्रंखला की स्थापना से पूरे अंचल को बल्कि कहें औद्योगिक अंचल एक बड़ी सौगात मिली है जिससे पूरा अंचल लाभान्वित होगा. औद्योगिक क्षेत्र धनपुरी, बुढ़ार, ओपीएम, लालपुर के अलावा एसईसीएल सोहागपुर एरिया की ज्यादातर खदानें शहडोल जिले में संचालित हैं इस कारण भी जिला न्यायाल के काम से रोज-रोज शहडोल भागने की कवायद से बहुत बड़ी राहत मिलेगे और बहुत सहजता से पास में जिला न्यायाल की सहूलिय मिलेगी. बुढ़ार अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विश्वेश पटेल ने इसका श्रेय यहां पर प्रैक्टिस करने वाले हरेक अधिवक्ता व कार्यकारिणी देते हुए कहा है कि यह सबके ही सामूहिक प्रयासों व पूर्वजों के दिखाए स्वप्न का ही प्रतिफल है जो इस निरा आदिवासी अंचल को पूर्ण कालिक न्यायलय का न्याय मिला। श्री पटेल ने बुढ़ार न्यायाल में प्रैक्टिस करने वाले सभी अधिवक्ताओं का आभार जताते हुए शासन, प्रशासन व न्यायिक व्यवस्था सुनिश्चित करने वाले अधिकारियों सहित उच्च न्यायालय के मुख्यन्यायाधीश एवं पोर्टफोलियो जज जस्टिस विजय शुक्ला, जिला न्यायाधीश आरपी सिंह को साधुवाद भी ज्ञापित किया।
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