शहडोल- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर महाशिवरात्रि का पर्व दो दिन मनाया जा रहा है। १३ एवं १४ फरवरी दोनों ही दिन चतुर्दशी का संयोग है। कुछ जगहों पर जहां मंगलवार से ही भगवान भोलेनाथ की उपासना शुरु कर दी गई है, वहीं शहर में आज तो शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। भोले बाबा को खुश करने के लिए भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ पड़ी है। भोले बाबा का अभिषेक करने के लिए भक्त शिवालयों में पहुंच रहे हैं। शहडोल में भोलेबाबा के भक्त विराट मंदिर, बूढ़ी माता मंदिर, शिवमंदिर, पुलिस लाइन स्थित शिव मंदिर में ज्यादातर श्रृद्धालु पहुंच रहे हैं।
४ प्रहरों की पूजा महत्वपूर्ण होती है
महाशिवरात्रि पर ४ प्रहरों की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। महाशिवरात्रि पूजा में धर्म, अर्थ, काम , मोक्ष चारों प्रहरों का आधार ह? शिवरात्रि ??ि में मध्य रात्रि की पूजा विशेष होती है। जिसमें शाम ६ से ९, ९ से १२, रात १२ से ३ और दूसरे दिन सुबह ३ से ६ बजे भगवान शंकर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
महाशिवरात्रि पर ४ प्रहरों की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। महाशिवरात्रि पूजा में धर्म, अर्थ, काम , मोक्ष चारों प्रहरों का आधार ह? शिवरात्रि ??ि में मध्य रात्रि की पूजा विशेष होती है। जिसमें शाम ६ से ९, ९ से १२, रात १२ से ३ और दूसरे दिन सुबह ३ से ६ बजे भगवान शंकर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर में यदि भोलेनाथ की आराधना की जाए, तो मां पार्वती और शिव अपने भक्तों की कामनाएं पूरी करते हैं। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी पर सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। बूढ़ी माता मंदिर पुजारी ने नर्मदा प्रसाद के मुताबिक मंदिर परिसर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इस वर्ष दो दिनों तक शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है, लेकिन ज्यादातर श्रृद्धालु आज महाशिवरात्रि का पर्व मना रहे हैं। ज्यादातर श्रद्धालु भजन- कीर्तन और अभिषेक करने शिवालयों में पहुंच रहे हैं।
मंगलवार को भी मनाया गया महाशिवरात्रि का पर्व
संभाग में कुछ जगहों पर महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार को भी मनाया गया। जहां भक्तों ने शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा अर्पित कर दूध-दही से अभिषेक किया। मंदिरों में भजन कीर्तन के आयोजन किए गए।
संभाग में कुछ जगहों पर महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार को भी मनाया गया। जहां भक्तों ने शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा अर्पित कर दूध-दही से अभिषेक किया। मंदिरों में भजन कीर्तन के आयोजन किए गए।