भाजपा सांसद ज्ञान सिंह के खिलाफ शहडोल सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी महावीर प्रसाद मांझी ने 2016 में याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया था कि शहडोल में हुए लोकसभा उपचुनाव में वे निर्दलीय प्रत्याशी थे। लेकिन, सत्ताधारी दल भाजपा के प्रभाव में निर्वाचन अधिकारी ने उनके जाति प्रमाण-पत्र पर आपत्ति जताते हुए नामांकन पत्र गलत तरीके से निरस्त कर दिया। याचिका में इसे अवैध बताते हुए उन्होंने भाजपा सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन निरस्त करने की मांग की थी। इसे सही मानते हुए शुक्रवार को हाईकोर्ट ने सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन निरस्त कर दिया है।
इधर, जबलपुर से खबर है कि हाईकोर्ट में ज्ञान सिंह के वकील को दो सप्ताह का वक्त अपील के लिए दिया गया है।
2016 में हुआ था उपचुनाव
मध्यप्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट से वर्तमान में भाजपा की तरफ से सांसद हैं ज्ञान सिंह। सिंह इससे पहले मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार में मंत्री थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां से जीत मिली थी और दलपत सिंह परस्ते सांसद बने थे, लेकिन ब्रेन हेमरेज के कारण उनका निधन हो गया। इसके बाद 2016 में उपचुनाव हुए थे, जिसमें ज्ञान सिंह चुनाव जीत गए थे। ज्ञानसिंह 58 हजार से अधिक वोटों से जीते थे, उन्होंने कांग्रेस की हिमाद्री सिंह को हराया था।
शहडोल सीट एक नजर में
-शहडोल अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है।
-मध्यप्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित शहडोल जिला।
-इस जिले का गठन 1959 में हुआ था।
-इसकी कुल जनसंख्या 24 लाख 10 हजार 250 है।
-इसमें से 79 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और 20 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं।
-साल 1957 के चुनाव में यहां कांग्रेस का राज था। 1962 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने जीता था।
-1967 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस जीती थी।
-1971 में ये सीट निर्दलीय नेता धानशाह प्रधान ने जीत ली थी।
-1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल ने झंडे गाड़े थे।
-1989 के चुनाव में यहां जनता दल ने भी उपस्थिति दर्ज कराई।
-1991 में एक बार फिर यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
-1996 के चुनाव में यहां भाजपा ने जीत के साथ खाता खोला।
-इस सीट से ज्ञान सिंह सांसद बन गए।
-2004 तक भाजपा लगातार जीत रही थी।
-साल 2009 के चुनाव में अरसे बाद यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
-इसके बाद 2016 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर ज्ञान सिंह चुनाव जीत गए।
भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे भी मुश्किल में
इससे थोड़े दिन पहले ही भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने के बाद उनका प्रमाण पत्र निरस्त करने करने की कार्रवाई की गई थी। आरक्षित बैतूल सीट से ज्योति भाजपा की दूसरी बार सांसद बनी। पहली बार 2009 में सांसद बनी थीं। तब भी उनका जाति प्रमाण-पत्र फर्जी होने की शिकायत हुई, पर जांच नहीं हो पाई। दूसरी बार सांसद बनीं तो फिर शिकायत हुई। जांच में दीपाली रस्तोगी ने प्रमाण-पत्र को गलत ठहराया। बाद में धुर्वे ने शिवराज सरकार से इसके रिव्यू की गुहार की। यह मामला लंबित हो गया। कांग्रेस सरकार आने के बाद समिति ने रस्तोगी के फैसले को सही माना। ज्योति के पिता पवार जाति से हैं, जबकि शादी बैतूल में प्रेम धुर्वे से हुई। वे गोंड आदिवासी हैं। इसी आधार पर गोंड जाति प्रमाण पत्र बनवाया गया।