खराब हो सकती थी आंख, जान को भी था खतरा
डॉक्टरों के अनुसार, बालक का लगातार खून निकलने की वजह से आंख खराब हो सकती थी। आंख का हिस्सा बाहर आ गया था। नाक और गाल की हड्डियां टूट चुकी थी। विभागाध्यक्ष डॉ नमन अवस्थी के साथ डॉ अखिलेश सिंह और डॉ सोमी सोनी के साथ ऑपरेशन शुरू किया। हड्डियों को दोबारा जोड़ा और आंख को दोबारा उसी जगह पर रखकर सही किया। डॉक्टरों के अनुसार, ज्यादा खून निकलने से जान को भी खतरा था। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज नहीं होता तो गाल भी दब सकता था, जिससे बालक कभी खा पी नहीं सकता।
जमापूंजी लेकर पहुंचा था पिता, कहा- ले सब रखकर बेटे को बचा लो
जिला अस्पताल पिता दिव्यांग बच्चे को खून से लथपथ लेकर आया था। पिता जमापूंजी लेकर अस्पताल पहुंचा था। पिता का कहना था कि इतना ही पैसा है। घर पर जरूर आर्थिक तंगी है, दाने-दाने को मोहताज हैं, लेकिन इसे बचा लो। हम दोबारा कमा लेंगे, ये पैसे भी रख लो। बाद में डॉक्टरों ने नि:शुल्क इलाज किया।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम लगातार ऐसे गंभीर ऑपरेशन कर रही है। लोगों को राहत मिल रही है। हमारी पूरी कोशिश रहती है कि यहां से रैफर न करना पड़े।
डॉ मिलिन्द्र शिरालकर, डीन
मेडिकल कॉलेज, शहडोल