फस्र्ट गोल्डन मिनट में नवजात पुनर्जीवन देकर सांस लेने में की जा सकती है मदद
एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में एनआरपी फस्र्ट गोल्डन मिनट प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
फस्र्ट गोल्डन मिनट में नवजात पुनर्जीवन देकर सांस लेने में की जा सकती है मदद
शहडोल. नवजात शिशु मृत्यु के कारणों में एक प्रमुख कारण नवजात शिशु द्वारा जन्म लेते ही सांस का ना ले पाना होता है। जिसे बर्थ अस्फीक्सीया कहते हैं। इसके प्रतिशत में कमी लाने के लिए शिशु जो जन्म लेते समय सांस नहीं ले पाते हैं उन्हें नवजात पुनर्जीवन देकर सांस लेने में मदद की जाती है। इस बीमारी से अच्छे से अच्छा उपचार मिलने के बाद भी बहुत नवजात शिशुओं को बचा पाना संभव नहीं होता। हर डिलीवरी प्वाइंट चाहे वह सरकारी हो चाहे निजी अस्पताल हो सब जगह नवजात शिशु पैदा होने के दौरान नवजात पुनर्जीवन में दक्षता प्राप्त डॉक्टर, स्टाफ नर्स का होना अनिवार्य है। लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में हेल्थ वर्कर्स ने दक्षता ट्रेनिंग नहीं ली है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एवं नेशनल नियोनाटोलॉजी फोरम, सरकार के साथ मिलकर एनआरपी अर्थात नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम में फस्र्ट गोल्डन मिनट में जो नवजात शिशु सांस नहीं ले पाते उन्हें सांस लेने में मदद करने में दक्षता दी जाती है। इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर से संकाय में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सीपी बंसल, राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. विकास अग्रवाल, राज्य समन्वयक डॉ. आनंद केतकर के मार्गदर्शन में शहडोल में जिला अस्पताल कैंपस के एएनएम ट्रेनिंग सेंटर में एनआरपी फस्र्ट गोल्डन मिनट का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मार्गदर्शन में आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सीएमएचओ डॉ. एमएस सागर, विशेष अतिथि प्रभारी सिविल सर्जन डॉ राजेश पांडे, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ एवं भूतपूर्व सीएमएचओ डॉ टीएन चतुर्वेदी एवं डॉ पुनीत श्रीवास्तव नोडल अधिकारी आरबीएसके रहे। कार्यक्रम के मुख्य इंस्ट्रक्टर एवं समन्वयक एवं मुख्य इंस्ट्रक्टर शिशु रोग चिकित्सक डॉ. सुनील हथगेल, डॉ उमेश नामदेव जिला चिकित्सालय, डॉ सत्येश विसंदसानी निजी अस्पताल, डॉ हरी नारायण तिवारी मेडिकल कॉलेज द्वारा ट्रेनिंग दी गई। प्रशिक्षणार्थियों में जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू, लेबर रूम, ओटी कम्युनिटी हेल्थ सेंटर एवं पीएससी के स्टाफ नर्स एवं निजी अस्पताल के स्टाफ नर्स शामिल थे। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 36 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया और दक्षता हासिल की। यह कार्यक्रम सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक चला। कार्यक्रम का समापन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को सर्टिफिकेट प्रदान कर किया गया। सीएमएचओ द्वारा सभी प्रशिक्षणार्थियों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की जरूरत एवं उसकी उपयोगिता के विषय में बताया गया। उन्होने कहा कि यह प्रशिक्षण नवजात शिशुओं की जान बचाने के लिए बहुत जरूरी है एवं इस प्रशिक्षण से शहडोल जिले के कई नवजात शिशु को बर्थ अस्फीक्सिया होने से बचाया जा सकता है। विशेष अतिथि के रुप में आरबीएस के नोडल अधिकारी डॉ पुनीत श्रीवास्तव एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कमलेश परस्ते मौजूद थे।
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