वसूल रहे थे ज्यादा फीस, मौत के बाद भी जमा कराई राशि
सीएमएचओ डॉ एमएस सागर के अनुसार, जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि देवांता अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजों से शासन द्वारा निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त ज्यादा वसूला जा रहा था। मनमाने तरीके से इलाज के नाम पर पैसा लिया जा रहा था। इसके अलावा जिस दिन महिला की मौत हुई है, उस वक्त भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा राशि जमा कराई गई है।
लाइसेंस निरस्त की प्रक्रिया, दूसरे जगह शिफ्ट किए मरीज
जांच टीम की रिपोर्ट में कई गड़बडिय़ां सामने आने के बाद देवांता अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ लाइसेंस निरस्त की प्रक्रिया की जा रही है। जांच रिपोर्ट एडीएम के माध्यम से कलेक्टर डॉ वंदना वैद्य को सौंपी जाएगी। इसके बाद अग्रिम कार्रवाई होगी। जांच टीम ने अग्रिम कार्रवाई तक के लिए अस्पताल के संचालन पर रोक लगा दी है। इस दौरान जो मरीज भर्ती थे, उन्हे मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कराया है।
13 को बिल काटा, 14 को लिखाई जांच, काट-छांट भी की
जानकारी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती करने के बाद महिला की 13 सितंबर को डायलिसिस करनी थी। इसके लिए देवांता अस्पताल प्रबंधन ने 13 को बिल भी काट दिया था लेकिन दो दिन तक डायलिसिस नहीं कराई। बाद में 14 सितंबर को डॉ दीपक पाल से केस शीट पर जांच लिखवाई गई और इसके बाद 15 से डायलिसिस हुई। जांच टीम के घेरे में डॉ दीपक पाल भी हैं। जांच टीम की भनक लगते ही देवांता अस्पताल के प्रबंधक और डॉक्टरों द्वारा रजिस्टर में भी हेरफेर किया गया। जांच टीम ने रजिस्टर जब्त किया है। जिसमें डायलिसिस दिनांक में काट-छांट की गई है। बिल 13 को काट दिया गया था। जबकि डॉ दीपक पाल ने 14 को डायलिसिस लिखी है। बाद में इसे सुधारने का भी प्रयास किया गया है।
नहीं दे रहे थे रेकार्ड, जांच टीम पहुंचते स्टाफ चंपत
अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा, सीएमएचओ डॉ एमएस सागर, डॉ मुकुंद चतुर्वेदी और डॉ एससी त्रिपाठी दोपहर में देवांता अस्पताल पहुंच गए। ये देर शाम तक अस्पताल में रेकार्ड खंगालते रहे। इस दौरान रेकार्ड निकलवाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। जांच टीम के पहुंचते ही स्टाफ भी चंपत हो गया। बाद में अपर कलेक्टर वर्मा ने फटकार लगाते हुए एफआइआर कराने की बात कही, जिसके बाद स्टाफ आया। बाद में रेकार्ड देने में भी आनाकानी की जा रही थी। हालांकि फिर भी कई रेकार्ड जांच टीम के हाथ नहीं लग सके हैं। कई दस्तावेज न मिल पाने की वजह से रिपोर्ट में तथ्य नहीं आ सके हैं।
दूसरे अस्पतालों में भी विजिट, डॉ पाल का बयान दर्ज
जांच टीम ने देवांता अस्पताल के डॉ दीपक पाल को भी बुलाया। अधिकारियों ने बयान दर्ज किया है। जिसमें कई अलग-अलग बात सामने आई है। डॉ दीपक पाल दूसरे अस्पताल में भी सेवाएं दे रहे हैं। यहां पर डॉक्टर की सूची में नाम दर्ज था। जबकि इलाज बीएचएमएस (होम्योपैथी) के डॉक्टर कर रहे थे। देवांता अस्पताल प्रबंधक डॉ बीके त्रिपाठी और डॉ बृजेश पांडेय के खिलाफ हाल ही में पुलिस ने धोखाधड़ी सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच के दौरान प्रबंधक और डॉक्टर दोनों गायब थे।
ये था मामला
संतोष कुमार राठौर निवासी चोरभटठी अनूपपुर ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि देवांता अस्पताल के प्रबंधक डॉ बीके त्रिपाठी और डॉ बृजेश पांडेय द्वारा पत्नी का सही उपचार नहीं किया गया है। पीडि़त के अनुसार, भय दिखाकर पैसे ले लिए और पत्नी की मौत के बाद भी मुझे जानकारी नहीं देकर कई कोरे कागजों में दस्तखत कराए जा रहे थे। इस दौरान कई बार धोखाधड़ी कर कई बार पैसे भी लिए गए। जब महिला की मौत हो गई, तब भी जानकारी नहीं दी गई। बाद में हंगामे के बाद महिला को जिला अस्पताल ले जाया गया था। जहां पर डॉक्टरों ने कुछ घंटे पहले ही मौत होने की पुष्टि की थी। इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली गई। पैसा नहीं होने पर पति ने खड़ी फसल बेचकर पैसा चुकाया था। बाद में प्रबंधक और डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
पुलिस से जानकारी भी छिपाई
बताया गया कि महिला पिछले कई दिन से देवांता अस्पताल में भर्ती थी। पॉइजनिंग के बाद महिला को यहां भर्ती कराया गया था। नियमानुसार, महिला के भर्ती होने की जानकारी पुलिस को देनी थी लेकिन घटनाक्रम की जानकारी डॉक्टरों ने छिपाकर रखी थी।