दावा आपत्ति के लिए अधिकारी तैनात
जिले की बकहो ग्राम पंचायत को नगर परिषद बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2016-17 में गठित नवीन नगर परिषद बकहो के वार्ड विभाजन एवं आरक्षण की कार्रवाई पूर्ण कर आयोग को जानकारी देने के लिए कहा है। कलेक्टर नरेश पाल ने बताया कि मध्यप्रदेश नगर पालिका वार्डों का विस्तार नियम 1994 अधिसूचना 22 जुलाई 1994 नियम 6 के तहत राजस्व अधिकारी द्वारा वार्डों की सीमाओं का निर्धारण प्रस्ताव तैयार किया जाएगा, जिसके लिए गठित नवीन नगर पालिका परिषद बकहो के वार्डों के विभाजन, परिसीमन के प्रस्ताव तैयार किए जाने एवं प्राप्त दावा आपत्तियों का एक सप्ताह के अंदर निराकरण किए जाने के लिए संयुक्त कलेक्टर रमेश सिंह को नियुक्त किया गया है। ग्राम पंचायत को खत्म कर नगर परिषद बनाने और न बनाने के बारे में जिसको आपत्ति है वे लोग डिप्टी कलेक्टर रमेश सिंह के यहां दावा कर सकते हैं।
कई छोटे कस्बों से भी अधिक आबादी
बकहो ग्राम पंचायत की आबादी कई छोटे कस्बों से भी अधिक है। अभी २०११ की जनगणना के अनुसार बकहो की आबादी लगभग 36 हजार है और वोटर लगभग 17 हजार हैं। इतनी बड़ी ग्राम पंचायत के विकास और व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार को काफी मशक्कत करना पड़ रही थी। यहां से लगातार मांग भी उठ रही थी कि इतनी बड़ी ग्राम पंचायत को नगर पंचायत घोषित किया जाए। इसको लेकर कई आंदोलन भी हो चुके थे। काफी लंबे समय से चली आ रही मांग पर विचार करने के लिए सरकार ने अफसरों की एक टीम को नियुक्त किया है। अभी इस ग्राम पंचायत की आबादी कई कस्बों से भी अधिक है। इस ग्राम पंचायत में २० वार्ड हैं। यानि कई नगर पंचायतों में 12 से 15 वार्ड ही हैं।
बिरला की बड़ी इंडस्ट्री है इस गांव मे
इस ग्राम पंचायत के क्षेत्र में बिरला ग्रुप की एक बड़ी इंडस्ट्री है। इस वजह से भी ये ग्राम पंचायत काफी फेमस है और चर्चाओं में रहती है। ओरिएंट पेपर मिल की वजह से इस गांव को काफी नाम मिला हुआ है। बिरला ग्रुप की ओरिएंट पेपर मिल में यहां के लोग बड़ी संख्या में काम करते हैं। कई बार मिल प्रबंधन के खिलाफ कई बड़े आंदोलन भी यहां खड़े हो जाते हैं, इस वजह से इस गांव को काफी सुर्खियं मिलतीं हैं।
ग्रामीणों की बढ़ जाएंगी दिक्कतें
सबसे बड़ी ग्राम पंचायत का तमगा छिनने के बाद ग्रामीणों की दिक्कतें भी बढ़ जाएंगी। अभी ग्रामीणों को प्रॉपर्टी टैक्स नहीं देना पड़ता। नगर पंचायत का दर्जा मिलते ही ग्रामीणों को प्रॉपर्टी टैक्स के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। जिसकी वजह से ग्रामीणों की दिक्कतें बढ़ जाएंगी।
टैंकस से पहुंचाना पड़ता है पानी
इस गांव को जिले में लोग इसलिए भी जानते हैं क्योंकि इतनी बड़ी आबादी को पानी मुहैया कराने के लिए सरकार को टैंकर से पानी पहुंचाना पड़ता है। पेयजल व्यवस्था को लेकर यहां लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिससे चलते इस गांव में कई बार पानी की किल्लत को लेकर हंगामा भी खड़ा हो जाता है।
विकास की है उम्मीद
ग्रामीणों को उम्मीद है कि नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद शायद यहां की सूरतेहाल बदले। अभी यहां पर काफी समस्याएं हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार से अधिक फंड मिलने के बाद पेयजल, सड़क और सफाई जैसी समस्याओं से निजात मिले।