दो बड़ी पार्टियों के बीच आपसी खाई को
प्यार और अपनत्व से अजजा आयोग अध्यक्ष और कांग्रेस की दिग्गज नेता ने पाट दिया। समय के साथ साथ दोनों के बीच राजनीतिक दूरियां खत्म होती गईं और दोनों एक दूसरे के हमसफर बन गए। एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लडऩे वाले अब एक साथ नजर आ रहे हैं। युवा आदिवासी नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर रहीं दिग्गज नेता हिमाद्री सिंह का विवाद 23 नवंबर को अनुसूचित जाति जनजाति आयोग अध्यक्ष नारेन्द्र मरावी के साथ हुआ था। हालांकि दोनों के पारिवारिक मसले में राजनीति बीच में नहीं आई और दोनों आज भी भाजपा और कांग्रेस में रहकर जनसेवा का भाव लेकर अलग अलग मुद्दों पर
काम कर रहे हैं।
विदिशा में रहकर इंजीनियरिंग कर चुके नरेन्द्र मरावी अजजा आयोग के अध्यक्ष हैं और हिमाद्री लोकसभा उपचुनाव में दावेदारी करते हुए भाजपा को काफी टक्कर दी थी। एक ही समाज के होने के चलते आपसी नजदीकियां बढ़ीं और परिवार ने दोनों के विवाह का निर्णय ले लिया।
चुनाव में थे दोनों आमने-सामने
हिमाद्री के पिता दलबीर सिंह कांग्रेस की सरकार में केबिनेट मंत्री थे। मां राजेश नंदिनी भी सांसद रह चुकी हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि वर्ष 2009 में नरेन्द्र मरावी और हिमाद्री की मां राजेश नंदिनी से लोकसभा चुनाव में टक्कर ली थी।
इसके बाद हाल ही में लोकसभा उपचुनाव में नरेन्द्र प्रबल दावेदार थे, हालांकि टिकट ज्ञान सिंह को दे दी गई थी। उधर उपचुनाव में हिमाद्री भी कांग्रेस से सांसद पद के लिए दावेदार थीं। नरेन्द्र को टिकट मिल जाती तो दोनों आमने सामने होते।
पार्टी अलग लेकिन सेवा भावना एक
पत्रिका से विशेष बातचीत करते हुए नरेन्द्र मरावी ने कहा कि भले ही पार्टी अलग-अलग हो लेकिन दोनों का एक उद्देश्य सेवा भावना है। हिमाद्री उधर आदिवासियों के मुद्दे पर काम कर रही हैं। हालांकि विवाह के बाद भी एक दूसरे के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं था। दोनों सेवाभावना के साथ अपने अपने क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।