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शाहडोल

रेलवे के ड्राइवर खुले में शौंच जाने को क्यों हैं मजबूर ?

महिला कर्मचारियों के लिए अलग से टॉयलेट सुविधा नहीं

शाहडोलOct 12, 2017 / 02:21 pm

Shahdol online

Why is the driver of the railway forced to go open?

Why is the driver of the railway forced to go open?

शहडोल- ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट्स को आज भी बोतल लेकर खुले मैदान में जाना पड़ता है। उन्हें टॉयलेट की सुविधा नहीं मिलती। शहडोल अंतर्गत बुढ़ार, नौरोजाबाद में यह संकट ज्यादा है। शहडोल में रेलवे एकीकृत क्रू लॉबी में पायलटों की संख्या के अनुरूप और महिला कर्मचारियों के लिए अलग से टॉयलेट सुविधा नहीं है। यह व्यथा बुधवार को संभागीय मुख्यालय में बिलासपुर से आए रेल मंडल प्रबंधक ओ राज गोपालम को रेल लोको पायलटों ने सुनाई। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के डीआरएम बुधवार को शहडोल रेलवे स्टेशन का निरीक्षण करने स्पेशल सैलून से आए थे। लोको पायलटों ने बताया कि उनसे प्रतिदिन 15-15 घंटे काम लिया जाता है। लोको पायलटों की समस्याओं की शीघ्र समाधान की बात डीआरएम ने कही।
इसके पहले डीआरएम ने कई जगहों का निरीक्षण किया जिसमें चालक एवं परिचालक विश्राम गृह का निरीक्षण किया। जहां कूलर, फ्रीज, वाटर फिल्टर, बेड व आलमारियों की दुर्दशा देखकर वह भड़क गए। और अफसर को फटकार भी लगाई। डीआरएम रेलवे स्टेशन की तरफ गए तो जगह-जगह नाली से निकला मलवा सड़क के किनारे पड़ा था, लेकिन डीआरएएम ने इसकी ओर ध्यान ही नहीं दिया।
कमियां छिपाने के लिए एआरएम मीडिया पर भड़के
डीआरएम के निरीक्षण के दौरान शहडोल का रेलवे अमला सहमा हुआ था। एक तरफ डीआरएम निरीक्षण कर रहे थे तो दूसरी तरफ अमला व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में लगा था। रेस्ट हाउस में जब कुछ अधिकारियों को लग रही फटकार की कवरेज करने मीडियाकर्मी पहुंचे तब संभागीय मुख्यालय के एआरएम अनुराग सिंह ने मीडिया से अभद्रता की। उन्हें कमरे से निकल जाने को कहा। फोटो लेने पर भी आपत्ति जताई। यह सब नजारा डीआरएम ने भी देखा, पर उन्होने भी मीडिया से दूरी बनाकर रखी। इंतजार के बाद डीआरएम ने मीडिया को महज कुछ सेकेंड का समय दिया और निकल गए। इंतजार के बाद डीआरएम ने मीडिया को महज कुछ सेकेंड का समय दिया और निकल गए।

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