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शाहडोल

महिला सरपंच ने बदली गांव की तस्वीर: क्षेत्र में हैं तीन बड़े उद्योग, हजारों श्रमिकों को मिला है रोजगार

प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत थी बकहो, कागज कारखाने से देश में अलग पहचानमहिला सरपंच के गांव के विकास में महत्वपूर्ण योगदान पर प्रदेश सरकार भी कर चुकी है सम्मानित

शाहडोलOct 22, 2020 / 12:20 pm

Ramashankar mishra

महिला सरपंच ने बदली गांव की तस्वीर: क्षेत्र में हैं तीन बड़े उद्योग, हजारों श्रमिकों को मिला है रोजगार

महिला सरपंच ने बदली गांव की तस्वीर: क्षेत्र में हैं तीन बड़े उद्योग, हजारों श्रमिकों को मिला है रोजगार

शहडोल/बरगवां. ग्राम पंचायत बकहो प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत के रूप में जानी जाती थी। जिसने सबसे बड़े कागज उद्योग अमलाई ओपीएम से भी अपनी विशेष पहचान बनाई है। पंचायत की खासियत ये भी है कि लगभग 20 वर्ष से महिला सरपंच का नेतृत्व है। महिला सरपंच के नेतृत्व में इस छोटे से गांव में कॉलरी और दो बड़े उद्योगो की वजह से इसकी तस्वीर ही बदल दी। जनसंख्या बढ़ी और आबादी व सुविधाओं में विस्तार होने के साथ ही बड़े उद्योग स्थापित होने की वजह से अब सरकार ने इसे नगर परिषद का दर्जा दिया है। जिसके वार्डों के आरक्षण की कार्यवाही भी शुरू हो गई। इस ग्राम पंचायत ने प्रदेश ही नहीं पूरे देश में अपनी विशेष पहचान बनाई है। गांव के विकास में विशेष योगदान के चलते सरपंच फूलमति को प्रदेश सरकार ने सम्मानित भी किया था।
20 वार्डों में 62 हजार आबादी
जनपद पंचायत बुढ़ार की ग्राम पंचायत बकहो की आबादी लगभग 62 हजार बताई जा रही है। जहां लगभग 20 वार्ड थे जिनमें से प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या लगभग 2500-3000 थी। जिनमें से ज्यादातर ओपीएम, कॉलरी में काम करने वाले अधिकारी कर्मचारी शामिल है। यह अधिकारी कर्मचारी स्थानीय निवासी हो गए हैं।
इनसे मिली बकहो को पहचान
ग्राम पंचायत बकहो प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत होने की वजह से अपनी अलग पहचान बनाई है। सबसे बड़े कागज उद्योग अमलाई ओपीएम के स्थापित होने की वजह से इसे पूरे देश में जाना जाता है। इसके अलावा शारदा ओसीएम और ओपीएम के ही सोडा फैक्ट्री की वजह से भी इसे पहचाना जाता है। जहां अलग-अलग प्रदेशों से आकर लोग काम कर रहे हैं। इन उद्योग और कॉलरी शुरू होने से गांव का विकास भी हुआ और सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है। अब परिषद का दर्जा दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, अकेले अमलाई ओपीएम में लगभग तीन हजार से अधिक अधिकारी कर्मचारी कार्यरत है।
चार पंचवर्षी से महिला सरपंच का नेतृत्व
ग्राम पंचायत का गठन होने के बाद चुने गए सरपंचो में से कुछ सरपंच मूलत: दूसरे प्रदेश से भी है। बताया जा रहा है कि वर्ष 1961 में स्थानीय निवासी सुखनुदन केवट ने गा्रम पंचायत सरपंच का चुनाव जीता था। इसके बाद राम केवट सरपंच बने। इन दोनो के बाद ओपीएम के अभयसिंह चुने गए इसके बाद उप्र के सीपी द्विवेदी तीन पंचवर्षी तक गांव का नेतृत्व किया। अब मूलत: झारखंड निवासी फूलवती बतौर सरपंच पिछले चार पंचवर्षी से ग्राम पंचायत का नेतृत्व कर रही है। बताया जाता है कि महिला सरपंच पिछले चार पंचवर्षीय लगातार गांव के विकास में बड़ा योगदान निभाते आ रही हैं। इनके इस प्रयास पर सरकार सम्मानित भी कर चुकी है।
मजदूर और बाहरी लोगों की शरणस्थली बन गई बड़ी पंचायत
ग्राम पंचायत बकहो स्थानीय लोगों के साथ ही तीनो बड़े उद्योगों में काम करने वाले बाहरी श्रमिकों की भी शरण स्थली बनी हुई है। हजारों की तादाद में बाहर से आए लोग यहां बस गए और अब वह स्थानीय निवासी में शामिल हो गए है। बाहर से आए लोगों के बसने की वजह से यहां जनसंख्या बढ़ती गई और धीरे-धीरे कर यह ग्राम पंचायत सबसे बड़ी पंचायत में शुमार हो गई।

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