शास्त्रों के अनुसार भले ही लंकापति रावण ने शनि देवता को अपने काबू में रखा हो, लेकिन शाहजहांपुर जिले में होने वाली रामलीलाओं में शनिवार के दिन रावण वध नहीं किया जाता है। यही वजह है कि इस बार भी दशहरा के दिन होने वाला रावण वध रात 12 बजे के बाद किया जाएगा। पुराणों के अनुसार रावण ने अपने पुत्र मेघनाद के जन्म से पहले सभी नौ ग्रहों को काबू में कर लिया था ताकि वो अपने पुत्र को अजेय बना सके। जिसमें शनि देवता सबसे शक्तिशाली माने जाते हैं। रावण ने शनिदेव को अपनी लंका में कैद कर लिया था। जिन्हें बाद में हनुमान ने लंका जाकर रावण के बंधन से मुक्त कराया था। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव रावण से नाराज थे। इसी लिये जिले में शनिवार को रावण वध नहीं किया जाता है। रात 12 बजे के बाद रावण वध किया जाएगा। जिसके बाद उसके पुतलों में आग लगाई जाएगी।
जिस तरह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने आदिशक्ति दुर्गा की पूजा और आशीर्वाद के बाद रावण को मारा था। ठीक उसी तरह शाहजहांपुर में दुर्गा पंडाल में आदिशक्ति दुर्गा को सजाया जाता है। विजयदशमी के दिन उस प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। लोग देवी प्रतिमा को रामलीला मंच के पास से लेकर जाते हैं। रामलीला के कलाकार देवी की पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद देवी की प्रतिमा का विसर्जन और रावण का वध किया जाता है। इस बार शनिवार होने के कारण रावण वध रात 12 बजे के बाद होगा तो वहीं दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन भी देर से होगा।