scriptशिष्या से रेप के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री ‌चिन्मयानंद दोषमुक्त, MP-MLA कोर्ट ने किया बरी | Former Union Minister Chinmayanand accused of rape student acquitted | Patrika News
शाहजहांपुर

शिष्या से रेप के आरोपी पूर्व केंद्रीय मंत्री ‌चिन्मयानंद दोषमुक्त, MP-MLA कोर्ट ने किया बरी

रेप के आरोपी पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को MP-MLA कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने पर्याप्त सबूत नहीं होने पर चिन्मयानंद को बरी कर दिया।

शाहजहांपुरFeb 01, 2024 / 06:49 pm

Upendra Singh

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रेप के आरोपी चिन्मयानंद को अदालत ने बरी कर दिया।

बृहस्पतिवार यानी 1 फरवरी को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को दोषमुक्त कर दिया। बचाव पक्ष में स्वामी चिन्मयानंद पर साजिशन झूठे आरोप लगाए गए थे। 30 नवंबर 2011 को पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनकी शिष्या ने चौक कोतवाली में रेप का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि चिन्मयानंद ने अपने कर्मचारियों की मदद से शिष्या मुमुक्षुु आश्रम में बंधक बनाकर कई बार रेप किया। पुलिस ने विवेचना के बाद चिन्मयानंद के खिलाफ आरोप पत्र अदालत को भेजा।
चिन्मयानंद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था
भाजपा सरकार बनने पर 2018 में मुकदमा वापस लेने कि प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसकी जानकारी होने पर पीड़िता ने एतराज जताया तो अदालत ने लोकहित से जुड़ा मामला नहीं मानते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था। चिन्मयानंद कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ तो 30 नवंबर 2022 को एमपी एमएलए कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत मिली थी। इसके बाद चिन्मयानंद ने एमपी एमएलए कोर्ट में हाजिर हुए थे।
चिन्मयानंद ने मीडिया से बातचीत नहीं की
कोर्ट से निकलने के बाद चिन्मयानंद ने मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। उनके वकील फिरोज खां ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से 6 गवाह पेश किए गए। इसमें मेडिकल करने वालीं डॉ. सईद फातिमा, एफआईआर लेखक खुर्शीद अहमद, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. एमपी गंगवार, बीपी गौतम और विवेचक मुकदमा इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रताप सिंह शामिल थे।
कोर्ट ने चिन्मयानंद को बरी कर दिया
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता फिरोज हसन खां ने सभी गवाहों से जिरह की। जिरह की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विशेष लोक अभियोजक नीलिमा सक्सेना ने और बचाव पक्ष से अधिवक्ता फिरोज हसन खां और मनेंद्र सिंह ने अदालत में अपने तर्क पेश किए। इसके बाद न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाया।
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