scriptपूजा के बाद हाथ में कलावा बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ | Inspirational Motivational story benefits of kalava in hand hindi news | Patrika News
शाहजहांपुर

पूजा के बाद हाथ में कलावा बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार पूजा के बाद हाथो में रक्षासूत्र यानि कलावा या मौली क्यों बांधते हैं और क्या है इसका धार्मिक महत्व

शाहजहांपुरOct 22, 2018 / 12:55 pm

Bhanu Pratap

kalawa

kalawa

हिन्दू धर्म में किसी धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ, लगभग सभी अवसर पर लोग अपने हाथ की कलाई पर लाल धागा बांधते हैं, जिसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कई लोग इसे रक्षासूत्र या मौली कहते हैं, तो कई लोग कलावा और कंगन के नाम से भी जानते हैं। लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि आखिर पूजा-पाठ के बाद Mauli यानी Kalawa क्यों बांधते हैं, इसका क्या महत्व है। अगर आपका जवाब नहीं है तो चलिए आज आपको इस सवाल से छुटकारा देते हुए कलावा के महत्व को लेकर कुछ जरूरी बातें बताते हैं। आपको बता दें कि कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है कि इसे बांधने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है।
यह भी पढ़ें

प्रत्येक ‘पति, पत्नी और वो’ को जरूर पढ़नी चाहिए ये लघु कथा

कलावा
क्या है रक्षा सूत्र का महत्व
माना जाता है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधे थे। रक्षाबंधन का प्रतीक माने दाने वाले रक्षा-सूत्र को माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए ये बंधन बांधा था।

रक्षा सूत्र यानी मौली का अर्थ
जानकारों के अनुसार ‘मौली’ का अर्थ होता ‘सबसे ऊपर’, क्योंकि मौली को कलाई में बांधते हैं इसलिए इसे कलावा भी कहते हैं। वैसे इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। कहा जाता है कि शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा हैं, यही कारण है कि उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है। मौली कच्चे धागे से बनती है, जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे (लाल, पीला और हरा)का प्रयोग होता है, लेकिन कभी-कभी ये 5 धागों की भी बनाई जाती है, जिसमें नीले और सफेद रंग के धागों का भी प्रयोग किया जाता है, यनी इसक सीधा मतलब ये बताया जाता है कि 3 यानी कि त्रिदेव के नाम पर और 5 यानी की पंचदेव के नाम पर इस बांधा जाता है। शास्त्रों के अनुसार मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा बरसती है।
यह भी पढ़ें

राजा और लकड़हारा की ये कहानी दे रही जीवन की सबसे बड़ी सीख, जरूर पढ़ें

कलावा
कैसे बांधें

पुरुष और अविवाहित युवतियों को इसे दाएं हाथ में बांधना चाहिए, जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में बांधना चाहिए। इसे बंधवाते समय आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और आपका दूसरा हाथ सिर पर रखा होना चाहिए। मौली बांधने के लिए किसा खास स्थान की जरूरत नहीं होती है, इसे कहीं पर भी बांध सकते है, लेकिन इतना ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटते हैं। हालांकि अब लोग इसे फैशन के तौर पर भी बांधते है, ऐसे में लोग इसे कई बार लपेटते हैं।
यह भी पढ़ें

साध्वी प्राची ने #MeToo और ठाकुर देवकी नंदन के अभियान पर बयान देकर चौंकाया

कलावा
वैज्ञानिक लाभ

हाथ, पैर, कमर और गले में मौली बांधने से आपको स्वास्थ्य लाभ भी होता है, जैसे कि इससे त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। इसके बांधने से रक्तचाप, हृदयाघात, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी लाभ होता है।
प्रस्तुतिः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, प्राध्यापक

Home / Shahjahanpur / पूजा के बाद हाथ में कलावा बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो