मैं उस वक़्त घर पर नहीं था, लेकिन जब लौट कर आया और अपनी पत्नी से ये सुना कि बच्चे नाव को लेकर नौकायन पर निकल गए हैं तो मैं बदहवास हो गया। क्योंकि मुझे याद आया कि नाव में तो छेद है। मैं गिरता पड़ता उस तरफ भागा जिधर मेरे प्यारे बच्चे गए थे। लेकिन थोड़ी दूर पर मुझे मेरे बच्चे दिख गए, जो सकुशल वापस आ रहे थे। अब मेरी ख़ुशी और प्रसन्नता का आलम तुम समझ सकते हो।
फिर मैंने छेद चेक किया, तो पता चला कि मुझे बिना बताये तुम उसको रिपेयर कर चुके हो। तो मेरे दोस्त उस महान कार्य के लिए तो ये पैसे भी बहुत थोड़े हैं। मेरी औकात नहीं कि उस कार्य के बदले तुम्हें ठीक ठाक पैसे दे पाऊं।
जीवन में “भलाई का कार्य” जब मौका लगे हमेशा कर देना चाहिए, भले ही वो बहुत छोटा सा कार्य ही क्यों न हो। क्योंकि कभी-कभी वो छोटा सा कार्य भी किसी के लिए बहुत अमूल्य हो सकता है। हम भी किसी की नाव की मरम्मत करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।