इस वर्ष अल्पवर्षा के चलते चीलर डैम बारिश के दिनों में डेड स्टोरेज से भी कम था। ऐसे में २२ सितंबर को हुई बारिश ने शहरवासियों से जलसंकट दूर कर दिया और एक ही रात में चीलर डैम में १२ फीट पानी जमा हो गया। इसके बाद शहरवासियों के लिए साल भर पानी की समस्या दूर हो गई। गत दिनों विभिन्न गांवों के किसानों ने सिंचाई के लिए चीलर बांध से पानी छोडऩे की मांग की।
इस वर्ष बनी पानी समस्या आगामी गर्मी में जलसंकट की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग ने किसानों को पानी देने से मना कर दिया। ऐसे में अब विभाग और प्रशासन को चीलर से पानी चोरी होने से रोकने की चुनौती सामने हैं। लेकिन लापरवाह अधिकारियों के चलते चीलर बांध से प्रतिदिन लाखों गेलन पानी चोरी कर सिंचाई की जा रही है।
जमीन में गड़े पाइप से खींच रहे पानी
चीलर बांध में नजर दौड़ाई जाए तो चारों ओर मोटरें लगी नजर आएंगी। इन मोटरों के माध्यम से जमीन के अंदर गड़े पाइपों से दूर-दूर तक पानी खींचा जा रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारियों को ये मोटरें नजर नहीं आ रही हैं। चीलर बांध से सटे आधा दर्जन के लगभग गांवों में डैम से पानी खींचा जा रहा है। अधिकारी भी इस बात को बखूबी जानते हैं कि डैम से पानी की चोरी की जा रही है, लेकिन अधिकारियों के प्रभावी कार्रवाई नहीं किए जाने से पानी चोरों के हौसले बुलंद हैं। यही वजह है कि गर्मी के दिनों में पानी के लिए शहरवासियों को परेशान होना पड़ता है। पिछले साल चीलर बांध पूर्णरूप से भर चुका था। लेकिन विभाग पानी चोरी रोकने में नकामयाब रहा। इसका नतीजा यह रहा है पर्याप्त बारिश नहीं होने से गर्मी में शहरवासियों को तीन दिन में एक बार जलप्रदाय किया गया।
औपचारिकता बनी अफसरों की गश्त
बता दें कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर डैम क्षेत्र का निरीक्षण किया जाता है। चीलर बांध में खुले रूप से मोटरंे लगाकर पानी की चोरी की जा रही है। निरीक्षण में यह मोटरें सिंचाई विभाग को भी नजर आती है। विभागीय अमला इन पर कार्रवाई नहीं करता। अधिकारी गश्त व निरीक्षण की महज औपचारिकता पूरी कर पल्ला झाड़ लेते हैं।
चीलर बांध में पानी चोरी रोकने के लिए प्लानिंग की जा रही है। इसके लिए टीम का गठन किया जा रहा है। नगर पालिका व पुलिस के साथ मिलकर जल्द ही पानी चोरों पर कार्रवाई की जाएगी।
आरसी गुर्जर, सब इंजीनियर सिंचाई विभाग