उम्मीद खो चुके दंपती की एसएनसीयू ने भर दी खुशियों से झोली
एसएनसीयू ने नवजात को दिया नया जीवन, दो माह की सतत मेहनत से परिवार को मिली खुशियां
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शाजापुर. जिले के अवंतिपुर बड़ोदिया निवासी एक महिला ने बेहद कम वजन वाले बच्चे को जन्म दिया था। इसकी बचने की उम्मीद बहुत कम थी। ऐसे में जिला अस्पताल में संचालित एसएनसीयू के डॉक्टर और स्टाफ की मेहनत ने न सिर्फ नवजात को नया जीवन दिया, बल्कि दो माह में नवजात को पूरी तरह स्वस्थ करके परिजनों को सौंप उनकी खुशियां दे दी। अपने शिशु को स्वस्थ देख माता-पिता ने डॉक्टर और स्टाफ का आभार माना। शुक्रवार को नवजात को जिला अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार अवंतिपुर बड़ोदिया निवासी रीना पति शेर सिंह के गर्भवती होने पर उसे डॉक्टर ने 12 जून 2019 की डिलिवरी डेट दी थी। इस बीच 6 अप्रैल को ही रीना ने एक प्रीटर्म (28-30 हफ्ते) की बच्ची को पोलायकलां में जन्म दिया। जब इस बच्ची का वजन देखा तो वो महज 1 किलो ही था। ऐसे में पोलायकलां से उक्त बच्ची को जिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू में रेफर कर दिया गया। एसएनसीयू पहुंचने से पहले बच्ची की हालत बहुत खराब थी। उसकी सांस बार-बार रुक रही थी और उसके बचने की उम्मीद भी काफी कम थी। ऐसे में पर्याप्त उपचार के लिए नवजात के पिता शेरसिंह को उसे इंदौर ले जाने के लिए कहा, लेकिन शेरसिंह ने कहा कि हमने यहां का बहुत नाम सुना है आप यहीं पर इसका उपचार करें। इस पर एसएनसीयू प्रभारी डॉ. चेतन वर्मा ने उसका उपचार शुरू किया। उपचार के तीसरे दिन बच्ची का पेट फुलने और पेट से खून का रिसाव हो रहा था। इस पर डॉ. वर्मा ने उसके पेट में फिडिंग ट्यूब डालकर रखा साथ ही खून के रिसाव के लिए उसका उपचार जारी रखा। अभी ये उपचार चल ही रहा था कि उसे पांचवें दिन उसे पीलिया की शिकायत हो गई। जिस पर डॉक्टर ने उसे ऑक्सीजन के साथ-साथ फोटोथैरेपी भी शुरू की। सात दिन के बाद बच्ची को फिडिंग ट्यूब से दूध पिलाना शुरू किया ताकि उसका जो वजन घट रहा था उसे बढ़ाया जा सके। क्योंकि लगातार बीमारी के चलते उसका वजन 1 किलो से घटकर 0.875 ग्राम तक पहुंच गया था।
इंदौर रेफर किया तो और बिगड़ गई हालत
एसएनसीयू में 22 से 25 अप्रैल तक बच्चे को निर्धरित मात्रा में दूध की मात्रा ग्रहण करने योग्य होने के बाद उसे इंदौर एमवाय हास्पिटल में स्क्रीनिंग जांच के लिए भेजा गया। परिजन उसे इंदौर लेकर भी गए। शेरसिंह ने बताया कि एमवाय में उसकी बच्ची की देखभाल ठीक से नहीं हो रही थी। ऐसे में वो अपनी बच्ची को लेकर अपने गांव चला गया। जहां पर उसकी बच्ची की हालत फिर से बिगडऩे लगी। ऐसे में 2 मई को अपनी बच्ची को लेकर शेरसिंह दोबारा जिला अस्पताल के एसएनसीयू पहुंचा।
रुकी हुईं सांसें लौटा दी डॉक्टर और स्टाफ ने
बच्ची को दोबारा एसएनसीयू में जब लाया गया तो उसकी सांस रुकी हुई थी। ऐसे में डॉक्टर और स्टाफ ने उसकी पुनर्जीवन प्रक्रिया कर सांस पुन: शुरू की और उसका उपचार जारी रखा। एसएनसीयू प्रभारी डॉ. वर्मा ने बताया कि बार-बार बच्ची की तबीयत बनने बिगडऩे की स्थिति से पार पाते हुए आखिरकार अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ हो गई है। उसका वजन भी 2 किलो से ज्यादा हो गया है। इसके चलते शुक्रवार को बच्ची को डिस्चार्ज किया गया। अपनी बेटी की जान बचाने वाले डॉक्टर सहित स्टॉफ को शेरसिंह और उसकी पत्नी रीना ने धन्यवाद और दुआएं दी।
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