गौरतलब है कि शासकीय श्रीराम मंदिर को नया स्वरूप प्रदान किया गया है। यहां पर राजस्थान के कलाकारों द्वारा धोलपुर के लाल पत्थरों से फर्श, गर्भगृह और सिंहासन तैयार किया गया है। जिससे मंदिर की आभा आकर्षण का केंद्र बन गई है। वहीं केदारनाथ धाम मंदिर जैसा रामलला के मंदिर में बनाया गया शिखर भी सभी को अपनी और आकर्षित कर रहा है। शासकीय राम मंदिर होने से राजस्व विभाग एवं श्रद्धालु जन मिलकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया जा रहा है। पदेन सचिव मंदिर समिति और पटवारी ललित कुंभकार ने बताया कि मंगलवार से प्रारंभ हुए तीन दिवसीय समारोह के दूसरे दिन बुधवार को अन्नाधिवास, पत्राधिवास, प्राप्ते पुष्पाधिवास, घृत एवं मधुवास, यज्ञ पुरोहित राहुल शास्त्री और अनिल शर्मा ने जजमान अशोक ठाकुर एवं जलज ठाकुर से करवाया। मंत्रोच्चार से पूरा परिसर गूंज उठा। इस अवसर पर भक्तों का तांता लगा रहा। उल्लेखनीय है कि क्षेत्रवासियों के सहयोग से मंदिर को भव्य रूप दिया गया है। श्रीराम मंदिर में गुरुवार को फलाधिवास, शैययाधिवास, न्यास, स्थापना, पूर्णाहुति, महाआरती एवं प्रसाद वितरण का आयोजन होगा।
15 वर्ष पहले किया था निर्माण, लेकिन फर्श पर नहीं दिया था ध्यान
लगभग 400 वर्ष प्राचीन किला स्थित शासकीय श्रीराम मंदिर पुराने समय की निर्माण सामग्री से बना था जो समय के साथ ढह गया था। करीब 15 वर्ष पूर्व शासन द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था, लेकिन भगवान को विराजित किए जाने का आसन इसके बाद भी कच्चा और जर्जर था। वहीं मंदिर के अंदर का फर्श भी अव्यवस्थित था। छत से पानी टपकता था और शिखर की भी कमी महसूस होती थी। जिसे स्थानीय जन सहयोग से पुन: भव्य स्वरूप में प्रदान करने के लिए सितंबर माह में भूमिपूजन किया था। भूमिपूजन के पश्चात अब रामलला का दरबार पूरी तरह भव्य रूप में तैयार हो गया है।
सरकारी ट्रेजरी में जमा रामलला के आभूषण लाए
पटवारी कुंभकार ने बताया कि शासकीय मंदिर होने से रामलला के चांदी के आभूषण आदि ट्रेजरी में जमा रहते हैं। विशेष अवसरों पर आभूषणों को निकलवाया जाता है। सुरक्षा की दृष्टी से स्टेट काल के समय से ही आभूषणों को ट्रेजरी में जमा करने की परंपरा रही है। वर्तमान में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह चल रहा है इसलिए आभूषणों को ट्रेजरी से निकलवाया गया है। उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पूर्व आभूषणों को कोरोना काल के पहले जमा कराया गया था।