कार्य करते को ३६ पैसेंट नहीं होते रैफर
वैसे तो जिला अस्पताल में एक साल से एनेस्थिसिया नहीं है। लेकिन डॉ. निदानिया ज्वाइन करने के साथ ही कार्य शुरू कर देते तो जिला अस्पताल के मरीजों को रैफर के चक्कर में नहीं उलझना पड़ता। बता दें कि डॉ. निदानिया के ज्वाइन करने के बाद से जिला अस्पताल में लगभग ३६ गर्भवती महिलाओं को रैफर किया गया है। इनमें से कुछ महिलाओं को इंदौर-उज्जैन जाना पड़ा और कुछ महिलाओं को मजबूरन प्रायवेट अस्तपाल में डिलेवरी कराना पड़ी है।
डॉ. निदानिया ने लिया मेडिकल अवकाश
बता दें कि 14 मार्च को ज्वाईन करने के बाद डॉ. निदारिया एक दिन के अवकाश पर गए थे। लेकिन 22 मार्च तक नहीं आने पर उनसे संकर्प किया गया तो उन्होंने स्वास्थ्य खराब होने की बात कही और दो सप्ताह के मेडिकल अवकाश का आवेदन भेजा है। डॉ. निदारिया के काम संभालने के बाद अस्पताल में सिजेरियन डिलेवरी व बड़े ऑपरेशन फिर से प्रारंभ हो सकेंगे।
हर माह १०० से अधिक रैफर
जिला अस्पताल में एनेस्थिसिया के नहीं होने से हर माह १०० से अधिक मरीजों को रैफर किया जाता है। इनमें से ६० से ८० मरीज गर्भवती महिलाएं होती है। वहीं ३० से ४० एक्सीडेंटल केस होते है। एनेस्थिसिया नहीं होने से सीजर नहीं होने से मरीजों को रैफर किया जा रहा है। जिससे शाजापुर जिला अस्पताल पर रैफर का ठप्पा लगा हुआ है। जिला अस्पताल से पिछले कुछ माह में रैफर की गई गर्भवती महिलाओं की संख्या को देखा जाए तो हर दिन दो-तीन गर्भवती यहां से रैफर की जाती हैं।
इनका कहना
स्वास्थ्य खराब चल रहा है, इसलिए मेडिकल अवकाश पर हूं। अभी रिकवर हो रहा हूं, जल्द ही चार-पांच दिन में अस्पताल ज्वाइन कर लूंगा।
– डॉ. राजू निदानिया, निश्चेतना विशेषज्ञ
डॉ. निदानिया ज्वाइन करने के बाद जिला अस्पताल नहीं आए। उन्होंने मेडिकल अवकाश भेजा है।
– डॉ. एसडी जायसवाल, सिविल सर्जन