ऑनलाइन प्रवेश के लिए सरकारी स्कूल ने उठाए ये कदम
बनाई स्वयं की वेबसाइट, पिछले 6 वर्ष से सरकारी स्कूल में संचालित हो रही वेबसाइट, 2013 में तैयार करवाई थी, अभी तक छह हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं ऑनलाइन प्रवेश ले चुके हैं
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पीयूष भावसार. शाजापुर. अधिकतर निजी स्कूलों की स्वयं की वेबसाइट होती है। जिस पर स्कूल का डाटा और अन्य जानकारियां उपलब्ध रहती है, लेकिन जिला मुख्यालय पर एक ऐसा सरकारी स्कूल है जिसने 6 साल पहले न सिर्फ स्वयं की वेबसाइट बनवाई। बल्कि स्कूल में होने वाले सभी प्रवेश को ऑनलाइन कर दिया। स्वयं की बेवसाइट बनाने वाला ये स्कूल प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल था। 6 साल में इस स्कूल की वेबसाइट के माध्यम से करीब 6 हजार से ज्यादा विद्यार्थी ऑनलाइन प्रवेश ले चुके हैं।
जुलाईमें स्कूल शुरू होते ही प्रवेश वाले विद्यार्थियों की भीड़ लगने से स्कूल का कामकाज प्रभावित होता था। साथ ही संपूर्ण स्टॉफ का प्रवेश प्रक्रिया में व्यस्त रहने के कारण करीब एक माह तक विद्यार्थियों की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाती थी। इसी समस्या को देखते हुए जिला मुख्यालय पर बस स्टैंड के समीप स्थित शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-2 में प्राचार्य ने प्रवेश प्रक्रिया का भार कम करने के लिए स्कूल की स्वयं की वेबसाइट बनवाई। इसका लाभ यह हुआ कि विद्यार्थियों के प्रवेश ऑनलाइन होने से कामकाज आसान हो गया और स्कूल में पढ़ाई भी सत्र शुरू होते ही शुरू होने लगी।
ढाई हजार रुपए वार्षिक है सर्वर का खर्च
स्कूल के प्राचार्य अरुण व्यास ने बताया कि ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के लिए वर्ष 2013 में स्कूल की वेबसाइट तैयार करवाई गई। प्राचार्य के अनुसार उनका भतीजा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसकी मदद लेकर और स्थानीय स्तर पर प्रयास करके वेबसाइड को डिजाइन किया गया। इसके बाद जिला मुख्यालय पर संचालित एक अन्य स्कूल (नवज्योति पब्लिक स्कूल) को साथ लेकर सर्वर का खर्च आधा-आधा बांट लिया। इससे प्रतिवर्ष करीब ढाई हजार रुपए एक साल के लिए स्कूल को भुगतान करना पड़ता है।
हर छात्र की प्रोफाइल भी रहती है ऑनलाइन
स्कूल के अनुसार यहां प्रवेश लेने वाले कक्षा 9 से 12वीं तक के प्रत्येक विद्यार्थी की संपूर्ण जानकारी स्कूल के सॉफ्टवेयर पर हर समय उपलब्ध रहती है। इसमें विद्यार्थी का नाम, पता, मार्कशीट, नामांकन, आइकार्ड मय फोटो के साथ ऑनलाइन अपलोड किए जाते है। इसके साथ ही स्कूल की वेबसाइट पर परीक्षा परिणाम सहित अन्य जानकारियां भी मिल जाती है।
ऑनलाइन जमा होती है स्कूल की फीस
जब विद्यार्थी का फार्म वैरिफाइ हो जाता है तो उसे एसएमएस से फीस जमा करने के लिए बताया जाता है। वहीं स्कूल की वेबसाइट बनने के बाद इसमें पेमेंट का ऑप्शन जोड़ते हुए स्कूल के बैंक खाते से कनेक्ट किया गया है। इससे विद्यार्थी ऑनलाइन फीस जमा करता है तो वो फीस सीधे स्कूल के खाते में चली जाती है। इसकी जानकारी स्कूल के प्राचार्य के पास मोबाइल पर मिल जाती है। एडमिशन फार्म जमा करने की फीस में से ही सर्वर का वार्षिक खर्च निकाला जाता है। इसके लिए कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं लिया जाता है।
& स्कूल ने 2013 में स्वयं की वेबसाइट तैयार की है। इसके बाद से स्कूल में सभी कक्षाओं के प्रवेश ऑनलाइन ही किए जाते है। इससे समय भी बचता है और पढ़ाईभी प्रभावित नहीं होती है। प्रदेश में सबसे पहले यह नवाचार इसी स्कूल में किया गया था। वर्ष 2017 के बाद सरकार ने प्रदेश के अन्य कुछ स्कूलों में ये नवाचार कराया है।
अरुण व्यास, प्राचार्य, शासकीय बालक उमावि क्रमांक-2, शाजापुर
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