छात्रा कविता, मीना, गौरी, ललितनाथ, चत्तरसिंह, जमनानाथ ने बताया हमारी कक्षाएं रोज मैदान में ही लगाई जाती हैं। जब बारिश होती है तो छुट्टी कर दी जाती है। ग्रामीण लालूनाथ, भेरूनाथ, सुमेरसिंह, बलवंत के अनुसार स्कूल की छत जर्जर हो चुकी है। उसमें दरारें दिख रही हैं। हम घुमक्कड़ जाति के हैं। व्यापार-व्यवसाय के सिलसिले में अधिकांश समय अन्य राज्यों में रहते हैं। बच्चे रिश्तेदारों के पास रहकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। शाला प्रभारी के पत्र के बाद विभाग के उपयंत्री ने भवन का निरीक्षण किया तथा यही बताया कि अब इस भवन में कक्षा लगाना खतरे से खाली नही। स्कूल में पहले 105 बच्चे थे किंतु भवन की हालत खराब हो जाने के बाद 20 बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं।
बारिश में हो रही घटना
बारिश का मौसम आते ही सरकारी स्कूलों के जर्जर भवन में प्लास्टर गिरने, छज्जा लटकने व अन्य घटना लगातार समाने आ रही है। नए सत्र की शुरूआत के साथ ही स्कूलों में मरम्मत की जा रही है, लेकिन यह काम गुणवत्ता के साथ नहीं किया जा रहा है। इसी के साथ कई स्कूल भवन की स्थिति ज्यादा खराब होने से भी स्थिति बिगड़ रही है।
छत जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह से दरारें स्पष्ट दिख रही हैं। विभाग को अवगत कराया है। उपयंत्री ने भी भवन का निरीक्षण किया है। अभी तो खुले मैदान में कक्षाएं लगाकर पढ़ाई कराई जा रही है। अगर पानी आ जाए तो स्कूल की छुट्टी करना पड़ती है। विभाग यदि अन्य जगह पर स्कूल संचालन की अनुमति देगा तो दूसरी जगह पर पढ़ाई करवाएंगे।
मोहनलाल राठौर, शाला प्रभारी शाप्रावि लक्ष्मीपुरा