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शाजापुर

नारी कमजोर नहीं, शक्ति का स्वरूप है

पत्रिका समूह के 67वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित टॉक-शो में महिलाओं ने बेबाकी से रखी अपनी बात

शाजापुरMar 08, 2022 / 07:31 pm

Piyush bhawsar

Woman is not weak, she is an embodiment of power

शाजापुर। पत्रिका टॉक-शो में चर्चा करती महिलाएं

शाजापुर.

जिस देश में प्राचीन काल से नारी को पूज्यनीय माना जाता रहा है, उसी देश में आज यह जरूरत क्यों हो गई कि पूरे वर्ष में केवल एक दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाए। कहा जाता है कि महिला और पुरुष बराबर है तो फिर 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को क्यों दिया गया। उन्हें पुरुषों के बराबर ही समझा जाना चाहिए। नारी कमजोर नहीं शक्ति स्वरूप है। किसी भी क्षेत्र में महिला और पुरुष बराबरी से काम कर सकते हैं। जब तक सोच नहीं बदलेगी, तब तक महिलाओं को उनका पूर्ण अधिकार दोबारा नहीं मिल पाएगा।

ये विचार उक्त चर्चा का अंश है जो पत्रिका समूह के 67वें स्थापना दिवस के अवसर शहरी हाइवे के समीप स्थित नवज्योति कॉन्वेंट स्कूल के परिसर में आयोजित महिलाओं के टॉक-शो में शहर की अखिल भारतीय मारवाड़ी शाखा शाजापुर की पदाधिकारियों ने रखे। महिला दिवस के अवसर पर आयोजित उक्त कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं ने कहा कि लोगों की सोच रहती है कि जब घर में कोई महिला गर्भवति रहती है तो सभी चाहते है कि बेटा हो। जबकि आज के दौर में बेटा-बेटी एक समान हैं। इसी सोच के कारण बेटियों को उनका वो अधिकार नहीं मिल पाता जो बेटों को मिल जाता है। हमें इस बारें में सबसे पहले सुधार की जरूरत है। जो शिक्षित होते हैं और उनका परिवार शिक्षित होता है वहां पर ये भेदभाव कम नजर आता है। ऐसे में शिक्षा के माध्यम से इस परिस्थिति का बदला जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में सभी महिलाओं ने पत्रिका को धन्यवाद देते हुए कहा कि पत्रिका के माध्यम से आज हम अपनी बात सभी जगह पहुंचा पाएंगे।

महिलाओं ने रखे अपने-अपने विचार
आज भी पुरुष प्रधान है समाज
50 प्रतिशत जो बचा है वो ही कमी है। पुरुष प्रधान समाज है। आज भी महिलाओं को घर से निकलने के लिए घर के पुरुषों से ही पूछना पड़ता है। यह सबसे बड़ा अंतर है महिला और पुरुषों में। जिस दिन सभी पुरुष भी इस अंतर को दूर करने का प्रयास करेंगे तो उस दिन बराबरी का अधिकार मिल जाएगा।
– सरीता माहेश्वरी, शिक्षिका एवं अध्यक्ष, अखिल भारतीय मारवाड़ी शाखा-शाजापुर

मानसिकता में परिवर्तन लाना सबसे जरूरी
महिलाओं को शिक्षा का अधिकार उनकी स्वतंत्रता की तरह ही मिलना चाहिए। सामाजिक स्तर पर उपरी तौर पर परिवर्तन आए हैं, लेकिन आज भी मानसिकता नहीं बदल पाई है। जिससे महिलाओं को आगे बढऩे का मौका नहीं मिल पाता है। परिवर्तन अंदर से आना चाहिए। सामाजिक परिवर्तन होगा तो राजनैतिक और आर्थिक परिवर्तन भी होगा।
– मोनिका मेहता, सचिव, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर


ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को टैक्नोलॉजी से जोडऩा जरूरी
शिक्षा बच्चों को देना चाहिए, लेकिन ये सही है दूरस्थ अंचलों में लड़कियों को ये नहीं पता कि उन्हें क्या करना चाहिए। शहरी क्षेत्र में तो महिलाएं टैक्नोलॉजी का उपयोग करके आगे बढ़ रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ये नहीं हो पा रहा है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रयास करना चाहिए कि महिलाएं भी आधुनिक टैक्नोलॉजी से जुड़े और विकास करें।
– संध्या शर्मा, कोषाध्यक्ष, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर


स्कूलों में वेद-पुराण और ग्रंथ भी पढ़ाना चाहिए
आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत है कि हम अपने बच्चों को संस्कार दें। वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों की जानकारी दें। जिससे वे नारी का सम्मान करें और समानता का भाव ला सके। स्कूलों में ही इसके लिए अलग से पाठ्यक्रम होना चाहिए। जिससे आज के दौर में जो महिला अत्याचार की घटनाएं हर दिन हो रही वो आगे न हों।
– शिल्पा गुप्ता, सह सचिव, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर

शिक्षा से महिलाएं बन सकती है आत्मनिर्भर
आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा क्या होती है ये महिलाओं को नहीं पता है। स्कूल तो हैं, लेकिन वहां लड़कियों को भी भेजा ही नहीं जाता है। ऐसे में सभी को शिक्षित करने के संपूर्ण प्रयास होना चाहिए। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती है।
– श्वेता दुबे, पर्यावरण प्रमुख, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर

नारी शिक्षित है तो पूरापरिवार होता है शिक्षित

नारी शिक्षित होती है तो वो अपने पूरे परिवार को शिक्षित करने की क्षमता रखती है। यदि नारी के साथ पूरा परिवार शिक्षित है तो हमारा देश आगे बढ़ेगा। जनप्रतिनिधि के रूप में यदि महिलाएं आगे भी आती है तो उनके प्रतिनिधि के रूप में पुरुष काम करते हैं। हमें यहां बदलाव लाना बहुत जरूरी है। ताकि नारी को उसका सम्मान मिल सके।
– स्वाती चौहान, शिक्षिका एवं बाल विकास प्रमुख, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर

महिला अत्याचार रोकने समाज और परिवार की पहल भी जरूरी
महिलाओं और खासकर छोटी-छोटी बच्चियों पर जो अपराध बढ़ रहे हैं उसे रोकने के लिए सोच में बदलाव लाना होगा। शिक्षा, समानता और जागरुकता से ही ये संभव हो सकता है। इसके लिए सरकार को तो प्रयास करना ही चाहिए, लेकिन समाज और परिवारों को भी पहल करना चाहिए।
– अर्चनासिंह चौहान, अंगदान, नेत्रदान, रक्तदान प्रमुख, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर

बेटियों को स्वतंत्रता दें, ताकि वे कमजोर न बनें
आज लोग अपनी बेटियों को पढऩे तो बाहर भेज देते हैं, लेकिन ये निर्णय भी माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्य मिलकर लेते है। लड़कियां खुलकर निर्णय नहीं ले पाती है। अपनी पढ़ाई के लिए भी वे दूसरों के निर्णय पर निर्भर रहती है। ये स्वतंत्रता सबसे ज्यादा जरूरी है। ताकि बेटियां भी अपने आप को कमजोर न समझें।
– अंजू सिकरवार, कार्यकारणी सदस्य, अभा मारवाड़ी शाखा-शाजापुर
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