बता दें कि बाबरी थाना क्षेत्र के गांव बुटराड़ा स्थित मस्जिद में रहने वाले मशहूर सूफी अब्दुल रऊफ़ उर्फ सूफी जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वह मूलरूप से बंगाल के रहने वाले थे। 60 साल पहले वह बुटराड़ा में आए थे। बताया जा रहा है कि शनिवार रात को सूफी अब्दुल रऊफ़ की तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद ग्रामीणाें ने उन्हें देर रात ही शामली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। सूफी के देहांत की सूचना मिलते ही गांव और आसपास के इलाके के लाेग गम में डूब गए। रविवार सुबह दिन निकलते ही दूर-दराज से मुस्लिम समाज के लोग बुटराड़ा पहुंचने लगे। दोपहर तक हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ मौके पर पहुंच गई। इसके बाद दोपहर को नमाज के बाद उनका जनाजा निकाला गया।
मशहूर सूफी अब्दुल रऊफ़ उर्फ सूफी जी को मस्जिद के निकट ही मदरसे में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस मौके पर झिंझाना नगर पंचायत के चेयरमैन नौशाद अली, पूर्व चेयरमैन सरफराज, मौलाना नजम साहब थाना भवन, मौलाना यामीन सोंता, मौलाना अब्दुल अजीज पलड़ी, मौलाना राशिद कांधला, मौलाना हरीफ उल्ला जलालाबाद, मौलाना मुफ़्ती शराफत पानीपत, कारी जहीर बंती खेड़ा के अलावा हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।