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श्योपुर

संभाग में 42 राज्य संरक्षित स्मारक, श्योपुर में महज पांच

आधा सैकड़ा से अधिक पुरातात्विक धरोहरों को अपने में समेटे श्योपुर जिले में महज पांच राज्य संरक्षित स्मारक है। इनमें से अधिकांश धरोहरों बदहाल हैं या फिर संरक्षण के इंतजार में हैं।

श्योपुरJul 08, 2020 / 04:47 pm

rishi jaiswal

संभाग में 42 राज्य संरक्षित स्मारक, श्योपुर में महज पांच

संभाग में 42 राज्य संरक्षित स्मारक, श्योपुर में महज पांच

श्योपुर. आधा सैकड़ा से अधिक पुरातात्विक धरोहरों को अपने में समेटे श्योपुर जिले में महज पांच राज्य संरक्षित स्मारक है। इनमें से अधिकांश धरोहरों बदहाल हैं या फिर संरक्षण के इंतजार में हैं। बावजूद इसके पुरातत्व विभाग द्वारा इन धरोहरों को संरक्षण तो दूर संरक्षित स्मारकों की सूची में भी शामिल नहीं किया है। यही कारण है कि पुरातत्वप्रेमी कई बार जिले की धरोहरों के संरक्षण की मांग उठा चुके हैं।

चंबल संभाग के तीनों जिलों में पुरातत्व विभाग के 42 राज्य संरक्षित स्मारक हैं, जिनमें श्योपुर जिले में महज पांच ही स्मारक शामिल हैं। जबकि यहां ऐतिहासिक धरोहरों की लंबी फेहरिश्त जो अपने इतिहास और पुरातत्व की स्वयं कहानीं बयां करते हैं। विशेष बात यह है कि चंबल संभाग के मुरैना में 13 और भिंड में 24 स्थल राज्य संरक्षित स्मारकों की सूची में हैं, लेकिन श्योपुर के महज पांच स्मारक होना, कहीं न कहीं भेदभाव जैसी स्थितियां बयां करता है। इसी के चलते जिले की कई धरोहरें कहीं जमींदोज होने की कगार पर हैं तो कहीं गुमनामी में हैं।

श्योपुर किले को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की दरकार
श्योपुर का ऐतिहासिक किले के तीन स्थल अभी राज्य सरंक्षित स्मारकों की सूची में हैं और गत वर्षों में पुरातत्व ने किले का जीर्णोद्धार भी कराया है, लेकिन पूरे किले केा राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल किए जाने की दरकार है। हालांकि कुछ साल पूर्व केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने श्योपुर किले को राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए प्रक्रिया चलाई थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि श्योपुर किले में कई दर्शनीय भवन और स्मारक हैं।
पर्यटन परिषद ने तीन स्थलों के भेजे प्रस्ताव
जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा गत वर्ष गठित की गई जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद ने भी पिछले दिनों महज तीन स्थलों को राज्य संरक्षित स्मारक बनाने के प्रस्ताव भेजे हैं। इनमें मानपुर गढ़ी, ढोढर की गढ़ी और भूतेश्वर महादेव मंदिर शामिल हैं।
अभी ये हैं पांच राज्य संरक्षित स्मारक
जिले में अभी महज पांच ही राज्य संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल स्थल और धरोहर हैं। इनमें तीन तो श्योपुर के किले में ही स्थिति हैं। इनमें श्योपुर किले में स्थिति 18वीं शताब्दी में बनी घुड़साल, 17वीं शताब्दी का महाराजा नरसिंह महल और 17-18वीं शताब्दी की मनोहरदास की छत्री के साथ ही श्योपुर शहर में स्थित शेरशाह सूरी के सिपहसालार मुनब्बर खां का मकबरा और विजयपुर का किला शामिल हैं।
इन धरोहरों को संरक्षण की दरकार
जिले में ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व के आधा सैकड़ा से अधिक स्थल हैं, जिन्हें संरक्षण की दरकार है। इनमें ऐतिहासिक डोब कुंड, मानपुर की गढ़ी, ढोढर की गढ़ी, काशीपुरा की गढ़ी, आमेठ का किला, कूनो में पालपुर का किला, बड़ौदा, किला किला, भूरवाड़ा शिवमंदिर, श्योपुर किले में गुरुमहल, कराहल की गढ़ी, बड़ौदा का कुंड, धनायचा जैन मंदिर,नीमोदा मठ, बागल्दा जगन्नाथ जी मंदिर, नीमोदा पीर, भूतेश्वर महादेव मंदिर आदि कई स्मारक शामिल हैं, जो राज्य संरक्षित स्मारकों की सूची के हकदार हैं।
निरीक्षण कर बनाएंगे प्रस्ताव
श्योपुर में ऐतिहासिक स्थलों को राज्य संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल कराने के लिए निरीक्षण कर प्रस्ताव बनाएंगे। अभी तो कई प्रस्ताव लंबित नहीं है।
केएल डाबी, उपसंचालक, पुरातत्व विभाग ग्वालियर
धरोहरों को संरक्षित करने का कर रहे प्रयास
जिले में कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं, जिन्हें संरिक्षत किए जाने के लिए हम प्रयासरत हैं। अभी पिछले दिनों हमने तीन स्थलों के प्रस्ताव भेजे हैं, आगे और भी भिजवाएंगे।
रूपेश उपाध्याय, एसडीएम व नोडल अधिकारी जिला पर्यटन व पुरातत्व परिषद श्योपुर

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