श्योपुर के पाली घाट से उत्तरप्रदेश के चकरनगर तक 435 किलोमीटर लंबाई में फैले राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य के अंतर्गत श्योपुर जिले की सीमा में चंबल नदी में पर्यटकों को बोटिंग का लुत्फ प्रदान करने के लिए चंबल सफारी की प्लानिंग की गई। अभयारण्य प्रबंधन और मध्यप्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से इसकी रूपरेखा तय की गई। जिसके तहत पाली घाट से रामेश्वर त्रिवेणी संगम तक चंबल सफारी में बोटिंग कराई जाने की कार्ययोजना थी। इसके लिए 18 नवंबर 2011 को पाली घाट पर इसका शुभारंभ भी समारोहपूर्वक किया गया, जिसमें तत्कालीन वनमंत्री सरताज सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे, वहीं इको टूरिज्म व वनविभाग के आला अधिकारी भी मौजूद रहे। हालांकि तत्कालीन वनमंत्री और वन विभाग के तत्कालीन अफसरों ने बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन नौ साल बाद चंबल सफारी शुरू नहीं हो पाई है। विशेष बात यह है कि शुभारंभ के समय चार बोट चलाने का प्लान था, लेकिन एक भी बोट तो दूर अभी तक तो दोनों स्थानों पर बोट के लिए प्लेटफार्म तक नहीं बन पाए हैं। इससे जाहिर है कि तत्समय श्रेय लेने की होड़ में चंबल सफारी का शुभारंभ हुआ और बाद में अफसर भी भूल गए।