संगोष्ठी में नपाध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि मानवाधिकार का संबंध उन परिस्थितियों से है जो मनुष्य को उसकी स्वाभाविक नियति तक पहुंचने के लिये अनिवार्य हैं तथा जिनमें उसके व्यक्तित्व के सभी आयाम अपने पूर्ण रूप में विकसित होते हैं। स्वच्छ पर्यावरण भी हर व्यक्ति का अधिकार है और यदि किसी के द्वारा पर्यावरण प्रदूषित किया जाता है तो ये उसका मानवाधिकार का उल्लंघन है। समाजसेवी और मानव आयोग मित्र कैलाश पाराशर ने कहा कि पहले यह बात विचित्र सी लग सकती थी कि पर्यावरण-प्रदूषण मानवाधिकार हनन से संबंधित हो सकता है, लेकिन अब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण को मानव जीवन के लिये गम्भीर माना जा चुका है और वैश्विक स्तर पर इससे उबरने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसलिये जब पर्यावरण-विसंगति मानव जीवन के लिये ही घातक है तो उसे मानवाधिकार-हनन से सम्बन्धित मानने में कोई सन्देह नहीं रह जाता क्योंकि जीवन का अधिकार सर्वोच्च मानवाधिकार है। कार्यक्रम में मानव मित्र हनुमान तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
कॉलेज में भी हुई संगोष्ठी
मानव अधिकार दिवस के अवसर पर शासकीय पीजी कॉलेज में भी एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ.एसडी राठौर कके निर्देशन में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में राजनीति विभागाध्यक्ष डॉ.रमेश भारद्वाज ने प्रेरक व्याख्यान दिए। इस दौरान डॉ.ओपी शर्मा ने भी संबोधित किया। इस दौरान छात्रों में अंकुर मैकाले प्रथम, नितेश प्रजापति द्वितीय और तनुष्का शर्मा तीसरे स्थान पर रहीं।