ग्राम पंचायत में पचास लाख रुपए की नलजल योजना दिखावा साबित हो रही है। नल-जल योजना के बाद भी आधा से ज्यादा गांव प्यासा है। गांव के पांच सौ से ज्यादा लोग निजी बोरिंग से पांच सौ रुपए प्रतिमाह के हिसाब से पानी लेकर पीते हैं। ऐसे में जो लोग प्रतिमाह पैसा नहीं दे पाते वह हैण्डपंप से पानी भरने को मजबूर हैं। नल-जल योजना की पाइप लाइन भी गांव में आधी अधूरी बिछाई गई है। जगह-जगह पाइप लाइन के लीकेज होने से नालियों का गंदा पानी घरों में पहुंच रहा है।
शोपीस बनी पानी की टंकी
ढोढर में पानी की किल्लत न हो इसके लिए पानी की टंकी का निर्माण कराया गया, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते पानी की टंकी शोपीस बनकर रह गई। ग्रामीणों को स्वच्छ पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। पीएचई से लेकर ग्राम पंचायत ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे हैं।
पानी के लिए 50 लाख की नल-जल योजना स्वीकृत हुई, लेकिन यह नलजल योजना फेल साबित हो रही हैं। पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
डॉ. लक्ष्मण सिंह राजावत, स्थानीय निवासी
आज भी ढोढर मे पांच सैंकड़ा घर ऐसे हैं जो पांच सौ रुपए प्रतिमाह के हिसाब से निजी बोरिंगों से पानी लाकर पी रहे हैं। गांव में पाइप लाइन की जगह लेजमों का जाल बिछा हुआ है।
मूलचंद हरदेनिया, स्थानीय निवासी
आधी अधूरी पाइप लाइन बिछी है, जिसमें भी लीकेज की समस्या है। इस कारण नालियों का पानी घरों तक पहुंच रहा है। ऐसे पानी को कैसे पीएं। इससे संक्रमण की आशंका है।
सोनू गोयल, स्थानीय निवासी