कथा वाचक बाल साध्वी राधा और सरस्वती ने शबरी प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम की अनन्य भक्त भक्तिमति शबरी का जीवन समस्त मानव जाति को एक सफल जीवन जीने का संदेश देता है। शबरी जो एक भील जाति की स्त्री थी। उन्होंने समाज में प्रचलित धर्म व कुरीतियों का विरोध करते हुए धर्म संगत मार्ग का चयन किया। इसी मार्ग के कारण समस्त सुखों व आनंद के स्रोत प्रभु श्रीराम स्वयं उसकी कुटिया तक आते हैं। यदि हम स्वयं को पहचानें, भीतर उठने वाली अन्तरात्मा की चीत्कार सुनें, उस पर अमल करे तो निश्चय ही समस्याओं का समाधान हो जाएगा। इसके लिए आवश्यकता है मतंग मुनि जैसे ब्रह्मज्ञानी संत की, जो हमें आत्म साक्षात्कार करवा सके। उन्होंने कहा कि यदि हम हमारे जीवन में रामायण लाना चाहते हैं तो अपने कर्तव्य को निष्ठा से करते हुए वर्तमान समय को पवित्र बनाएं। व्यक्ति अच्छी परिस्थितियों में तो हमेशा ही अच्छा होता है पर जो बुरी परिस्थितियों में भी अच्छा होता है, वहीं व्यक्ति विजयी कहलाता है। उन्होंने कहा कि अवसर प्रकृति प्रत्येक व्यक्ति को देती है कोई व्यक्ति उस अवसर का लाभ उठाता है और आगे बढ़ जाता है और कोई व्यक्ति अवसर आने पर अहंकार के कारण चूक जाता है और समय को गवां देता है।