जिला प्रशासन ने जो योजना बनाई है, उसके मुताबिक एनआरएलएम से जुड़ी स्वसहायता समूह की महिलाओं को नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से गिर गाय प्रदान की जाएगी। लगभग 500 की संख्या में ये गिर गाय विभिन्न गांवों में महिलाओं की दी जाएगी। वहीं एनआरएलएम द्वारा एक मिल्क चिलर प्लांट लगाया जाएगा। जिसमें इन समूहों से दूध खरीदकर लाया जाएगा और पैकिंग की गई जाएगी, साथ ही दूध, दही और पनीर भी तैयार होगा। गिर का दूध और दुग्ध उत्पाद आजीविका के शुरू होने वाले आजीविका रूरल मार्ट से बेचे जाएंगे।
शहर में गिर का पैक्ड दूध तो बेचा जाएगा ही, साथ ही आजीविका रूरल मार्ट प्रांगण में हम एक मिल्क एटीएम भी लगाया जाएगा, जिसमें लोग पैसे डालकर या हमारे यहां से दिए जाने वाला कूपन डालकर बोतल में दूध ले सकेंगे। इसके साथ ही यहां आधा लीटर और एक लीटर के दूध पैक रहेंगे, वहीं ये पैकेट अन्य शहरों में भी सप्लाई होंगे। बताया गया है कि गिर के दूध की सप्लाई के लिए दिल्ली की मदर डेयरी से भी हमारा अनुबंध किया जा रहा है।
एनआरएलएम के डीपीएम डॉ.सोहनकृष्ण मुदगल ने बताया देशी गिर गाय के दूध में पाया जाने वाला मूल बीटा केसीन प्रोटीन होता है। दूध का प्रोटीन 80 फीसदी केसीन से बना होता है। देशी गिर गाय के दूध में 100 प्रतिशत ए-2 बीटा केसीन होता है, जो ज्यादा पौष्टिक होता है। वैज्ञानिकों ने भी खोज में पाया कि ए-2 दूध का पाचन आसान होता है। मुदगल के मुताबिक गिर गाय का दूध ए-2 स्टैंडर्ड का रहता है, जो सबसे सर्वोत्तम होता है, मां के दूध के बाद सबसे उत्तम दूध ए-2 मानक का माना गया है।
हर्ष सिंह
सीइओ, जिला पंचायत श्योपुर