ऐसा इसलिए क्योंकि भवन के सामने ही ग्रामीणों ने भैंस गाय बांध रखी है, तो गोबर के कंडे (उपले) भी थापे जा रहे हैं। बावजूद इसके न तो सरपंच ने इस ओर ध्यान दिया और न ही सचिव ने। इस स्थिति से ये भी नजर आता है कि पंचायत भवन का ताला शायद ही खुलता हो और ग्राम पंचायत के कामकाज सरपंच-सचिव के घर से चल रहे हों।
ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत बनवाड़ा का भवन गांव के बीच में बना है, लेकिन भवन की हालत दयनीय है। यहां ग्रामीणों द्वारा मवेशियों का तबेला बना कर गाय-भैंस बांध दिए गए हैं। वहीं जिस कचरा गाड़ी से गांव का कचरा उठाने का काम किया जाता है, उसे ग्रामीणों ने भैंस-गाय का चारा रखने का पात्र बना लिया है। वहीं पंचायत के दूसरे मुहाने पर गोबर के उपले थापे जाते हैं। इन स्थितियों से नहीं लगता कि ये भवन ग्राम पंचायत का भवन है।
गांव में फैला कीचड़, पंचायत मौन
जहां एक ओर बनवाड़ का पंचायत भवन तबेला बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर गांव में भी जगह-जगह कीचड़ फैला हुआ है। कई रास्तों पर तो पैदल चलना भी मुश्किल है। बावजूद इसके सरपंच-सचिव ध्यान नहीं दे रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सरपंच मुकेश सुमन तो पंचायत में न रहकर अधिकांशतया श्योपुर जिला मुख्यालय पर निवास करते हैं। जिसके चलते ग्रामीण अपनी समस्याएं भी किसी को नहीं बता पाते।
यदि ऐसी बात है तो ये गंभीर बात है। इसकी जांच कराकर रिपोर्टमंगवाता हूं और संबंधितों पर कार्रवाई की जाएगी।
पुरुषोत्तम शर्मा, सीइओ, जनपद पंचायत श्योपुर
पुरुषोत्तम शर्मा, सीइओ, जनपद पंचायत श्योपुर