लगातार सक्रिय मानसून से मालवांचल में हो रही बारिश से गांधीसागर में बीते 20 दिनों में ही 40 फीट तक पानी की आवक हुई है। यही वजह है कि गांधीसागर में गत 29 जुलाई को 1265 फीट पानी था, वो 18 अगस्त को 1304.8 फीट हो गया है। हालांकि अभी बांध अपनी भराव क्षमता 1312 फीट से 7 फीट दूर है, लेकिन बांध में वर्तमान का जलस्तर गत वर्ष 2018 के जलस्तर 1285 फीट से 20 फीट ज्यादा है। यही कारण है कि आगामी रबी सीजन (वर्ष 2019-20) में श्योपुर, मुरैना और भिंड जिलों के किसानों को चंबल नहर से सिंचाई का पर्याप्त पानी मिल सकेगा। जलसंसाधन विभाग के इंजीनियरों की माने तो गांधीसागर में इस बार पानी अच्छी आवक से दो रबी सीजन में पर्याप्त पानी दिया सकता है।
चार साल बाद गेट खोलने की थी तैयारी, फिलहाल टली पिछले दिनों हुई लगातार बारिश के बाद गांधीसागर के कैचमेंट एरिया से लगातार पानी की आवक हो रही थी, जिसके चलते चार साल बाद बांध के गेट खोलने की तैयारी भी हो गई थी। इसके लिए शुक्रवार को मंदसौर कलेक्टर ने कोटा के साथ ही श्योपुर और मुरैना जिले के कलेक्टरों को सूचना भी दे दी थी, लेकिन अब कैचमेंट में पानी की आवक कम रहने के कारण फिलहाल गेट खोलने की स्थिति टाल दी गई है। बताय गया है कि गांधी सागर बांध के गेट 1986 से अब तक 4 बार खोले गए हैं। इसमें 1986 में 19 गेट, 1996 में 8 गेट, 2006 में 19 गेट, 2013 में 4 गेट एवं 2015 में 16 गेट खोले गए थे।
तीन जिलों की चार लाख हेक्टेयर में सिंचाई
चंबल संभाग के श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले में चंबल नहर के माध्यम से लगभग चार लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की सिंचाई होती है और अक्टूबर से मार्च तक नहरें चलाई जाती है। कोटा बैराज से चंबल दाईं नहर निकलकर पार्वती एक्वाडेक्ट से मध्यप्रदेश में प्रवेश करती है। इसके अलावा राजस्थान में भी चंबल बाईं नहर के माध्यम से कोटा और बूंदी जिलों में सिंचाई का पानी दिया जाता है।
ये भी जानें…
-मध्यप्रदेश और राजस्थान के 1953-54 में बनी चंबल घाटी परियोजना।
-चंबल घाटी परियोजना के तहत मंदसौर जिले में बनाया गया गांधीसागर बांध।
-इसके बाद चंबल नदी पर राणाप्रताप सागर और जवाहर सागर बांध राजस्थान में बने हैं।
-राजस्थान के कोटा में ही चंबल पर चौथा बांध कोटा बैराज है, जहां से चंबल नहर निकाली गई।
पर्याप्त पानी हो गया
इस बार गांधीसागर बांध में पर्याप्त पानी आ गया है। अभी तक गत वर्ष से 20 फीट ज्यादा पानी हो गया है, जबकि अभी मानसून काफी शेष है। निश्चित रूप से रबी सीजन में चंबल नहरों में पूरा जलप्रवाह होगा और किसानों को पर्याप्त पानी मिलेगा।
संदीप सोहल
कार्यपालन यंत्री, जल प्रबंधन प्रकोष्ठ कोटा(मप्र शासन)