कथा व्यास ने कहा कि ब्रह्माजी की हिरण्यकश्यप कठोर तपस्या करता है। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी वरदान देते हंै कि उसे ना कोई घर में मार सके ना बाहर, ना अस्त्र से और ना शस्त्र से, ना दिन में मरे ना रात में, ना मनुष्य से मरे ना पशु से, ना आकाश में ना पृथ्वी में। इस वरदान के बाद हिरण्यकश्यप ने प्रभु भक्तों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया, लेकिन भक्त प्रहलाद के जन्म के बाद हिरण्यकश्यप उसकी भक्ति से भयभीत हो जाता है, उसे मृत्यु लोक पहुंचाने के लिए प्रयास करता है। इसके बाद भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लेते हंै और हिरण्यकश्यप का वध कर देते हैं। कथा व्यास ने कहा कि भगवान को अपने भक्त सबसे ज्यादा प्रिय है। भगवान भक्तों की रक्षा के लिए दौड़े आते हैं। कथा के दौरान आकर्षक भजनों पर सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया।