हालांकि चुनावी वर्ष है, लिहाजा इसकी संभावना कम दिख रही है, लेकिन बांध में पानी कम होने के चलते अब अफसर इसको लेकर मंथन करेंगे। इसी के तहत दोनों राज्यों के अफसरों की नहरी पानी के बंटवारे को लेकर इसी माह के अंत में कोटा में बैठक होगी। बताया जा रहा है कि इसी बैठक में तय होगा कि चंबल नहर में पानी कब से छोड़ा जाए और कब तक चलाया जाए। अमूमन चंबल नहर में अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से मार्च के अंतिम सप्ताह तक चंबल मुख्य नहर में पानी चलाया जाता है, जिससे श्योपुर जिले सहित मुरैना और भिंड जिले के किसानों को रबी फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलता है।
उल्लेखनीय है कि चंबल सिंचाई परियोजना के तहत चंबल नदी पर मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में बने गांधीसागर बांध में जलभराव के आधार पर ही कोटा बैराज से चंबल दाईं(मध्यप्रदेश की ओर) और बाईं(राजस्थान के बूंदी की ओर) नहरों में पानी का बंटवारा होता है और उसी अनुरूप पानी की मात्रा और दिन निर्धारित किए जाते हैं। बताया गया है कि गांधीसागर बांध में अभी तक पूरा पानी भराव नहीं हुआ है, यही वजह है कि बांध की कुल भराव क्षमता 1312 फीट के एवज में 1284.68 ही पानी आया है। जिसके चलते बांध अभी भी 27 फीट खाली है।
श्योपुर सहित तीन जिलों को मिलेगा पानी
चंबल सिंचाई परियोजना के अंतर्गत कोटा बैराज से निकलने वाली चंबल दाहिनी मुख्य नहर श्योपुर सहित मुरैना और भिंड जिले के किसानों की जीवनदायिनी है। श्योपुर जिले में ही लगभग 60 हजार हेक्टेयर में चंबल नहर से सिंचाई होती है, जिसमें गेहूं आदि फसलें होती हैं।
राजस्थान के हिस्से की मॉनिटरिंग भी होगा चुनौती
चंबल सिंचाई परियोजना के मुताबिक कोटा बैराज से निकली चंबल दाहिनी मुख्य नहर मध्यप्रदेश में प्रवेश करने से पहले 124 किमी की दूरी राजस्थान में तय करती है, जिसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी दोनों राज्यों की है। लेकिन इस 124 किमी की इस मुख्य नहर मेंं राजस्थान ने 13 क्रॉस रेगुलेटर बना रखे हैं। यही वजह है कि हर बार मध्यप्रदेश के हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल पाता है। ऐसे में मध्यप्रदेश के अफसरों के लिए इस बार भी ये चुनौती होगा कि वे राजस्थान के हिस्से में मॉनिटरिंग कर पूरा पानी ले पाते हैं।
चंबल नदी के बांधों की स्थिति (फीट में) |
बांध भराव क्षमता वर्तमान जलस्तर |
गांधीसागर 1312.00 128 4.6 8 |
जवाहर सागर 98 0.00 975.00 |
राणाप्रताप सागर 1157.50 1149.51 |
कोटा बैराज 854.00 851.6 0 |