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श्योपुर

अपने-अपने दावों के बीच टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिश्त

भाजपा को टक्कर देने की तैयार में कांग्रेस, बसपा और आप

श्योपुरSep 06, 2018 / 04:14 pm

Gaurav Sen

mp election

अपने-अपने दावों के बीच टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिश्त

जयसिंह गुर्जर श्योपुर । प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार श्योपुर जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर चुनावी चौसर बिछने लगी है। हालांकि अभी दोनों सीटों में से भाजपा और कांग्रेस के पास एक-एक सीटें हैं, लेकिन पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार के चुनाव ज्यादा रोचक होने की संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही सीटों पर इस बार दोनों ही पार्टियों में टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिश्त होती जा रही है। वहीं इस बार निर्दलीयों की संख्या बढऩे की संभावना है, जो चुनावी समर में दलीय दावेदारों की नींद उड़ा सकती है। हालांकि दावेदारों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन उनके सामने पुरानी चुनौतियों के साथ ही नई चुनौतियां भी मुखर हो रही है। जिसमें नोटा के लिए चल रही मुहिम प्रमुख है, जो दोनों ही दलों के नेताओं के लिए गले की फांस बन गई है।

श्योपुर : सिटिंग विधायक का नहीं हुआ दोहराव
िजले की विधानसभा क्रमांक-1 श्योपुर में हर विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदले हैं। जिला मुख्यालय को शामिल करती इस सीट पर वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं, लेकिन यहां किसी भी सिटिंग विधायक को लगातार दूसरी बार विधायकी नहीं मिली है। यही वजह है कि ये सीट किसी भी दल की परंपरागत सीट नहीं बन पाई है। कुछ विशेष जातिगत बाहुल्यता की वजह से भी उम्मीदवारों की नजरें संबंधित जातियों को रिझाने पर रहती हैं। किसानों को बिजली, नहर पानी सहित कई मुख्य मुद्दें इस क्षेत्र में हैं।
2013 के वोट
भाजपा
दुर्गालाल विजय
6511
बसपा
बाबूलाल मीणा
48784

मजबूत दावेदार भाजपा के
– दुर्गालाल विजय – वर्तमान विधायक।
-कविता मीण- जिला पंचायत की अध्यक्ष।
– कैलाश नारायण गुप्ता – संगठन मे कई पदों पर रहे।
– महावीर सिंह सिसौदिया – पूर्वजिलाध्यक्ष।
– रामलखन नापाखेड़ली – सक्रियता।
– डॉ गोपाल आचार्य- पार्टी में जिला महामंत्री।

मजबूत दावेदार कांग्रेस के
– बृजरात सिंह चौहान- कांग्रेस के जिलाध्यक्ष, पूर्वविधायक।
– अतुल चौहान- संगठन में पकड़।
– रामलखन हिरनीखेड़ा- जिला उपाध्यक्ष।
– कुंजबिहारी – वरिष्ठ कांगे्रसी ।
– बाबूलाल मीणा – गत चुनावों में बसपा के उम्मीदवार दूसरे नबर पर रहे। अब कांग्रेस में शामिल।
– ओम राठौर – पूर्व नपाध्यक्ष रहे।
ये हैं मुद्दे
१. रोजगार के साधनों का अभाव। २. स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव।

जातिगत समीकरण
श्येापुर विधानसभा में जहां मीणा मतदाताओं का बाहुल्य है, वहीं उसके बाद दलित, अल्पसंख्यक और माली समाज के वोटों की अहम भूमिका है।

चुनौतियां
भाजपा और कांग्रेस की चुनौती नपा के निर्दलीय अध्यक्ष दौलतराम गुप्ता हो सकते हैं।

विधायक की परफॉर्मेंस
35 गांव की नहर, मूंझरी बांध, 220केवीए सबस्टेशन आदि कार्यों के आधार पर पुन: अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं।
न तो ब्रॉडगेज रेल श्योपुर पहुंच पाई है और न ही कोई उद्योग धंधा लग पाया है।- संजय मंगल, युवा
विजयपुर : अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का परंपरागत गढ़
िवधानसभा सीट विजयपुर बीते पांच विधानसभा चुनावों महज एक बार भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं, अन्यथा कांग्रेस के रामनिवास रावत लगातार विधायक हैं। यही वजह है कि ये सीट अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का गढ़ बन गई है। क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की बहुलता है, जो चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं, जिसके चलते भाजपा बीते दो बार से आदिवासी कार्ड खेल चुकी है, लेकिन इसे सफलता नहीं मिली। इस बार भी भाजपा इस सीट को जीतने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही है।

2013 के वोट

भाजपा
सीताराम
65209
कांग्रेस
रामनिवास
67358


ये हैं मुद्दे
१. आदिवासियों का रोजगार के लिए पलायन। २. पेयजल और स्वास्थ्य सुविधा।


मजबूत दावेदार भाजपा
-आशोक गर्ग – भाजपा जिला अध्यक्ष
– सीताराम आदिवासी- पिछले चुनावों में दो बार से उम्मीदवार।
– बाबूलाल मेवरा- पूर्वविधायक।
– बीके शर्मा- पार्टी के वरिष्ठ नेता।
– अरविंद सिंह जादौन- मंडल अध्यक्ष
– गुड्डी बाई- जिला पंचायत अध्यक्ष।
– मुकेश मलहोत्रा- सक्रिय अदिवासी नेता।
– लखमीचंद कुशवाह- प्रदेश कार्यसमिति सदस्या

मजबूत दावेदार कांग्रेस
– रामनिवास रावत – कांग्रेस से वर्तमान विधायक।
– रिंकी गोयल- नगर परिषद की अध्यक्ष।
– भरत लाल गर्ग- पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष।
– छोटेलाल सेमरिया- २० साल पूर्व चुनाव लड़ चुके हैं।
– सतीश आदिवासी – गत चुनाव में बसपा से उम्मीदवार थे अब कांग्रेस में शामिल हैं।
– राजकुमार गुर्जर – वर्तमान में किसान कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हैं।

जातिगत समीकरण
विजयपुर विधानसभा में आदिवासी वोटों की बहुलता के साथ ही दलित, कुशवाह और गुर्जर समाज के वोटों की अहम भूमिका निभाते हैं।
चुनौतियां
भाजपा और कांग्रेस की चुनौती श्योपुर के पूर्व कलेक्टर पन्नालाल सोलंकी और मुरैना श्योपुर के सांसद अपून मिश्रा क्षेत्र मेें रुचि ले रहे हैं।

विधायक की परफॉर्मेंस
विकास कार्य भी किए हैं। वहीं विधानसभा में लगातार सरकार को घेरने, क्षेत्र में चेंटीखेड़ा बांध और विजयपुर पेयजल योजना आदि के आधार पर अपनी पुन:दावेदारी जता रहे हैं।
विजयपुर क्षेत्र विकास से अछूता है। यहां की सडक़ें प्रदेश की सबसे खराब सडक़े हैं। – बृजमोहन, समाजसेवी विजयपुर

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