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श्योपुर

तमाम दावों के बाद भी जिले में कम नहीं हो रहा कुपोषण का दंश

जिले में कुपोषण पर अंकुश लगाने के भले ही तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन जिले में अभी 2800 से अधिक अति कुपोषित बच्चे हैं, वहीं 500 से अधिक गंभीर कुपोषण की श्रेणी में है।

श्योपुरDec 24, 2020 / 10:55 pm

rishi jaiswal

तमाम दावों के बाद भी जिले में कम नहीं हो रहा कुपोषण का दंश

तमाम दावों के बाद भी जिले में कम नहीं हो रहा कुपोषण का दंश

श्योपुर. जिले में कुपोषण पर अंकुश लगाने के भले ही तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन जिले में अभी 2800 से अधिक अति कुपोषित बच्चे हैं, वहीं 500 से अधिक गंभीर कुपोषण की श्रेणी में है। गत नवंबर माह में विभाग द्वारा चलाए गए वजन अभियान में कुपोषण की ऐसी स्थितियां आने के बाद भी विभागीय अमले ने एनआरसी में बच्चों को भर्ती कराने की गति धीमी कर दी है। यही वजह है कि जिले की तीनों एनआरसी में महज 14 बच्चे ही भर्ती हैं।

हालांकि विभाग ने पिछले महीनों की अपेक्षा कुपोषित बच्चों की संख्या कम होने की बात कही है, लेकिन नवंबर माह में ही 2800 से अधिक बच्चे अति कम वजन के सामने आने से साफ जाहिर है कि जिले में कुपोषण का दंश बरकरार है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक गत नवंबर माह में आंगनबाड़ी केंद्रों पर दर्ज 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों का वजन लेकर कुपोषण की स्थिति जांची गई। जिसमें पाया गया कि जिले में 0 से 6 वर्ष के 83 हजार 36 बच्चों में से 13532 बच्चे कम वजन के और 2863 बच्चे अतिकम वजन के हैं। जबकि 500 से अधिक बच्चे गंभीर स्थिति के हैं, जिन्हें एनआरसी में भर्ती कराना जरूरी है। बावजूद इसके जिले की एनआरसी में कुपोषित बच्चों को भर्ती कराने की प्रक्रिया ठंडी पड़ गई है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी और मैदानी अमला उदासीन नजर आ रहा है। जबकि कुपोषित बच्चे को निमोनिया व अन्य कई बीमारियां जकड़ सकती है।
ग्रोथ मॉनिटरों को मानदेय नहीं, अब हटाने का आदेश
कुपोषित बच्चों की मॉनिटरिंग और उन्हें एनआरसी में भर्ती कराने के लिए दो साल पहले लगाए गए ग्रोथ मॉनिटर भी संकट में है। बताया गया है कि जिले मेंं तैनात 20 ग्रोथ मॉनिटरों को पिछले 6-7 महीने से मानदेय नहीं मिला है, लेकिन बड़ी उम्मीद से काम कर रहे इन ग्रोथ मॉनिटरों को हटाने के लिए 14 दिसंबर को आदेश आ गया।
ये बात सही है कि नवंबर माह में 2800 से अधिक अति कम वजन और 500 के आसपास अति गंभीर बच्चे हैं, लेकिन काफी प्रयासों के बाद पिछले महीनों में ये संख्या लगातार कम हो रही है। रही बात ग्रोथ मॉनिटरों की तो ये शासन का आदेश है।
ओपी पांडेय, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्योपुर

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