केस-1
शहर के लोधा मोहल्ला निवासी अंजलि बैरवा ने 29-30 दिसंबर की रात जिला अस्पताल की मेटरनिटी विंग में बच्ची को जन्म दिया। जन्म के कुछ समय बाद ही बच्ची ने दमतोड़ दिया। प्रसूता की सास का आरोप था कि बच्ची जीवित पैदा हुई। नर्सों ने बच्ची की हालत गंभीर बताई, तो ड्यूटी रूम में सो रहे डॉक्टर को बुलाने उनके कमरे का दरवाजा खटखटाया। मगर डॉक्टर कमरे से बाहर नहीं आए। जिसकारण बच्ची ने दम तोड़ दिया।
केस 2
कराहल निवासी प्रसूता रिचा 26 वर्ष पत्नी मनोज शर्मा की गत 28 सितंबर को जिला अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए डिलीवरी हुई थी। मगर डिलीवरी होने के बाद प्रसूता की मेटरनिटी वार्ड में मौत हो गई।
केस 3
ग्राम बगवाड़ा निवासी गर्भवती मनीषा बैरवा की 3 मई को जिला अस्पताल मे नॉर्मल डिलीवरी हो गई। मगर डिलीवरी के कुछ देर बाद प्रसूता को ब्लडिंग होना शुरु हो गई। परिजनों का आरोप था कि ड्यूटी डॉक्टर को बुलाने पहुंचे तो डॉक्टर देरी से वार्ड में पहुंचे। वहीं स्टॉफ ने भी ऐसी कोई गंभीरता नहीं दिखाई,जिससे उसकी ब्लडिंग रुक सके। इस अनदेखी से मनीषा बैरवा की मौत हो गई।
केस-4
पिछले साल तेलीपुरा आदिवासी सहराना निवासी गर्भवती पपीता आदिवासी की घर पर ही डिलीवरी हो गई।इसके बाद उसे वीरपुर अस्पताल ले जाया गया।जहां कोई डॉक्टर नहीं मिला तो जिला अस्पताल लाया गया।मगर रातभर जिला अस्पताल में रुकने के बाद प्रसूता की मौत हो गई।