बोनस को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने अपने तर्क हैं, लेकिन दस माह बाद भी बोनस नहीं आने को लेकर किसानों की बात न तो सत्तापक्ष करता नजर आता है और न ही विपक्ष। यही वजह है कि नए सीजन में किसानों की बोनस की आस भी टूटती नजर आ रही है। जिसके कारण इस वर्ष समर्थन मूल्य के पंजीयनों में भी अभी तेजी नहीं आई है और अभी तक 10 हजार किसानों ने ही पंजीयन कराया है। उल्लेखनीय है कि जिले में गत वर्ष 20 हजार 834 किसानों से 22 लाख 74 हजार 6 60 क्विंटल गेहूं की खरीदी हुई है। इसमें प्रदेश सरकार ने 160 रुपए प्रति क्ंिवटल के हिसाब से बोनस देने की घोषणा की थी, लेकिन 10 माह बाद भी नहीं मिला है। 22 लाख 74 हजार 660 क्ंिवटल गेहूं पर 160 रुपए प्रति क्ंिवटल के हिसाब से 36 करोड़ 39 लाख 45 हजार 600 रुपए का बोनस बनता है। जिसका इंतजार अभी किसानों का करना पड़ रहा है।
अभी तक 10 हजार किसान कराए पाए पंजीयन
जिले में इस बार भी अप्रेल-मई में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी होगी। हालांकि अभी खरीदी केंद्र तय नहीं हुए हैं, लेकिन 37 केंद्रों पर किसानों के पंजीयन की कार्यवाही चल रही है। 28 फरवरी तक होने वाली पंजीयन की प्रक्रिया में 18 फरवरी तक जिले में 10 हजार 143 किसानों ने ही पंजीयन कराया है। इन किसानों का रकबा 28 हजार 607 हेक्टेयर है। जबकि जिले में इस बार गेहूं का कुल रकबा 95 हजार हेक्टेयर के आसपास है। इस लिहाजा से अभी काफी कम किसानों ने पंजीयन कराया है। विशेष बात यह है कि अभी कुछ केंद्रों पर तो किसानों का पंजीयन 10 की संख्या के ऊपर भी नहीं पहुंचा है, इसमें ननावद में 1, उतनवाड़ में 5 और बिजरपुर में 7 किसानों ने ही पंजीयन कराया है।
इस बार बोनस की घोषणा नहीं, 1925 रुपए समर्थन मूल्य
इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति क्ंिवटल रखा गया है। विशेष बात यह है कि गत वर्ष का बोनस नहीं दे पाने के कारण प्रदेश सरकार ने अभी तक इस वर्ष गेहूं पर बोनस घोषित नहीं किया है। जिले में गेहूं खरीदी के लिए बीते रोज कलेक्टर प्रतिभा पाल ने अफसरों की बैठक भी ली और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में जिला आपूर्ति अधिकारी एनएस चौहान ने अवगत कराया कि 37 पंजीयन केंद्रों पर किसानों का रबी मौसम में गेहूं के पंजीयन के साथ-साथ चना, मसूर एवं सरसो का पंजीयन कराने के लिए व्यवस्था की गई है। निर्धारित पंजीयन केन्द्रो पर किसान अपनी रबी फसल का पंजीयन कराने की सुविधा का लाभ उठा सकते है।