जिले में इस अनूठे आयोजन के पीछे कारण यह है कि 30 जनवरी 1948 को बापू की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां 12 फरवरी 1948 को रामेश्वर त्रिवेणी संग में ही विसर्जित की थी और तभी से अनवरत रूप से यहां हर वर्ष गांधीवाद नेताओं व उनके अनुयायियों का एकत्रीकरण होता है और त्रयोदशी मनाई जाती है। त्रयोदशी के आयोजन के दौरान रामेश्वर त्रिवेणी संगम पर श्योपुर जिले ही नहीं बल्कि राजस्थान के उस पार सवाईमाधोपुर जिले के गांधीवादी नेता भी शामिल होते हैं। इस दौरान यहां सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन होता है और बापू के प्रिय भजनों का गायन होता है, साथ ही बापू की आत्मशांति के लिए पूजा पाठ का आयोजन भी किया जाता है।
बापू की त्रयोदशी के अवसर पर 12 फरवरी को रामेश्वर धाम त्रिवेणी संगम पर होने वाले आयोजन में जहां सर्वधर्म प्रार्थना सभा और भजनों का गायन होता है, वहीं अंत में गरीबों व आदिवासियों को भोजन भी कराया जाता है। विशेष बात यह है कि जब गांधीवादी नेता सत्य अहिंसा की अवधारणा के साथ यहां एकजुट होते हैं तो धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में जिले में स्थापित रामेश्वर त्रिवेणी संगम भी अनायास ही अद्वितीय स्थल प्रतीत होता है।