यहां नहीं पहुंचा विकास, झोपड़ी में चलता है स्कूल
मामला विजयपुर तहसील के खूंटका गांव का
यहां नहीं पहुंचा विकास, झोपड़ी में चलता है स्कूल
अनूप भार्गव
श्योपुर
छोटी सी झोंपड़ी। 8-10 बल्लियों और घासफूस से बनी छत, दीवारें गायब, जमीन कच्ची। यह झोंपड़ी ही पूरा प्राथमिक स्कूल है। 1 से 5 तक कक्षाएं यहां चलती हैं। करीब ६५ बच्चे और बच्चियां पढ़ते हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए दो शिक्षक हैं। यह स्कूल है विजयपुर तहसील की ओछा पंचायत के खूंटका गांव में। यह गांव विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है। गांव में ४5 परिवार हैं। इतना ही नहीं इस गांव में पक्के मकान तक नहीं हैं सभी परिवार घासफूस से बनी झोपड़ी में रहते हैं।
सांसद अनूप मिश्रा यहां एक बार पहुंचे थे। उनके साथ अफसरों की फौज भी पहुंची, बावजूद इसके अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। बिजली नसीब नहीं होने के कारण गांव में निवासरत लोग सौर ऊर्जा यंत्रों का उपयोग कर उजाला करते हैं। सात से आठ घंटे बल्व जल जाते हैं उसके बाद इन लोगों को अंधेरे में ही रहना पड़ता है। शनिवार को श्योपुर प्रवास पर आए सांसद मिश्रा से जब इस गांव की हालत पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि हम प्रयास कर चुके हैं अब नई सरकार को अपना काम करना हैं।
न पानी और न शौचालय
शिक्षक झोले में स्कूल का रिकॉर्ड लेकर आते हैं और पढ़ाकर चले जाते हैं। न पानी और न शौचालय। सर्द हवा, धूप की तेज तपन और बारिश में स्कूल लगने का सवाल ही खड़ा नहीं होता। स्कूल में ब्लैक बोर्ड पर क,ख,ग का ज्ञान तो बच्चों को दिया जा रहा है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीणों को वंचित रखकर डिजीटल इंडिया के सपने दिखाए जा रहे हैं।
७० वर्ष से विकास की जोह रहे बाट
खूंटका गांव में रहने वाले ग्रामीण कहते हैं ७० वर्ष से गांव में विकास की बाट जोह रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। नेता से लेकर अफसर वादा तो करते हैं, लेकिन काम कोई नहीं करता। हमारे पुरखे भी बिना सुविधाओं के मर गए अब हम भी ऐसे ही जीवन गुजार रहे हैं।
यह बोले ग्रामीण…
घासफूस की झोंपड़ी में रहकर जीवन गुजार रहे हैं। हमारे पास पक्के मकान तक नहीं है। स्कूल के लिए भी पक्का भवन नहीं बन सका।
थान जी, निवासी खूंटका
झोंपड़ी में लगता है स्कूल
हमारे पास पक्के मकान नहीं है। झोंपड़ी में रहते हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए शाला है, लेकिन वह भी झोंपड़ी में ही चलती है।
कमला, निवासी खूंटका
नहीं सुनता कोई
गांव में कोई भी सुविधा नहीं हैं। न पक्के मकान, न पानी की सुविधा। नदी पर पानी लेने जाना पड़ता है। नेता आते हैं वादा करके चले जाते हैं।
मोरकी, निवासी खूंटका
इनका कहना है
हमने गांव में कुछ काम कराने की कोशिश की, तय भी किए, लेकिन अब नई सरकार को काम कराना है। अभी हम कुछ नहीं बोल रहे, तीन माह का समय सरकार को ठीक काम करने के लिए दिया है। ३१ मार्च के बाद सड़क पर आकर बात करेंगे।
अनूप मिश्रा
सांसद, मुरैना-श्योपुर