हालांकि मध्यप्रदेश और राजस्थान के श्योपुर, शिवपुरी, सवाईमाधोपुर, करौली के वन क्षेत्र आपस में जुड़े हुए हैं, जिनमें बाघ व अन्य वन्यजीवों की आवाजाही होती रहती है, लेकिन बीच-बीच में आबादी क्षेत्र, सामुदायिक गतिविधियां आदि होने के कारण टाइगर का स्वच्छंद मूवमेंट नहीं हो पाता है। यही वजह है कि वन्यजीवों पर कार्य करने वाली संस्था ने रिसर्च के बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफ(वल्र्ड वाइड फंड फोर नेचर) ने दोनों राज्यों के चार जिलों के इस आधा दर्जन संरक्षित क्षेत्रों के वन क्षेत्र को एक टाइगर कॉरिडोर के रूप में तैयार करने की परिकल्पना की है। ताकि टाइगर के संरक्षण के लिए एक बड़ा क्षेत्र और कॉरिडोर मिल सके, जिसमें उसका स्वच्छंद विचरण हो।
इन संरक्षित वनक्षेत्रों से बनेगा कॉरिडोर
जिस टाइगर कॉरिडोर की परिकल्पना की जा रही है, उसमें शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क, श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क और सामान्य वनमंडल का क्षेत्र, राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले का रणथंभौर नेशनल पार्क और करौली जिले का कैलादेवी अभयारण्य का क्षेत्र शामिल है। विशेष बात यह है कि इस कॉरिडोर के माध्यम से टूरिज्म का क्षेत्र भी बढ़ जाएगा और ये क्षेेत्र पर्यटन का नया हब बन सकेगा।
कॉरिडोर प्रस्तावित
दोनों राज्यों के संरक्षित वनक्षेत्रों को मिलाकर एक कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसके लिए प्लान बनाया जाएगा, ताकि वन्यजीवों का स्वच्छंद विचरण हो, साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिले।
पीके वर्मा
डीएफओ, कूनो वनमंडल श्योपुर